“तेजस्वी यादव का ‘बिहार का प्रण’: हर घर में नौकरी, 200 यूनिट फ्री बिजली और महिलाओं को ₹2,500 – महागठबंधन ने किए 25 बड़े वादे!”
यह सही है कि तेजस्वी यादव तथा उनके गठबंधन (महागठबंधन / राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन विपक्षी-दल) ने बिहार के आगामी विधान सभा चुनाव 2025 के लिए एक घोषणापत्र (मनिफेस्टो) जारी किया है — जिसका शीर्षक है “बिहार का तेजस्वी प्रण”।
इस घोषणा में लगभग 20-25 प्रमुख वादे किए गए हैं।
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घोषणापत्र के प्रमुख वादे और उनकी व्याख्या
1. प्रति परिवार एक सरकारी नौकरी
घोषणापत्र का सबसे बड़ा वादा है कि हर परिवार को कम-से-कम एक सरकारी नौकरी मिलेगी।
इसके लिए यह कहा गया है कि सरकार बनने के 20 दिन के भीतर एक कानून (अधिनियम) लाया जाएगा, और 20 महीनों (लगभग 1 वर्ष 8 महीने) के भीतर यह पूरा हो जाएगा।
साथ ही, संविदात्मक और आउटसोर्स्ड कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी बनाया जाएगा।
विशेष रूप से, “जीविका दीदियाँ” (महिला स्व-सहायता समूह की कार्यकर्ता) को नियमित सरकारी कर्मचारी बनाया जा रहा है और उन्हें मासिक वेतन ₹30,000 का प्रावधान है।
2. महिलाओं-कल्याण योजनाएँ
“माई-बहन मान योजना” के नाम से हर महिला को मासिक ₹2,500 की सहायता दी जाएगी, दिसंबर 1 से लागू।
विधवाओं और वरिष्ठ नागरिकों को मासिक पेंशन ₹1,500, और विकलांग व्यक्तियों को ₹3,000 मासिक पेंशन का वादा है।
गरीब परिवारों की गैस सिलिंडर ₹500 प्रति सिलिंडर में उपलब्ध कराई जाएगी।
3. बिजली-गैस-उपभोक्ता सुविधाएँ
प्रत्येक घरेलू कनेक्शन को 200 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली दी जाएगी।
स्मार्ट मीटर से सम्बंधित शिकायतों एवं मामलों को हटाने का वादा किया गया है।
4. शिक्षा-स्वास्थ्य-पेंशन-संरचना विस्तार
सभी ब्लॉकों में जिनमें अभी डिग्री कॉलेज नहीं हैं, वहां नए डिग्री कॉलेज खोलने का वादा। महिलाओं के लिए प्रत्येक उप–विभाग (sub-division) में महिला कॉलेज खोलना।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए परीक्षा शुल्क खत्म करने, परीक्षा केंद्रों तक जाने-आने के लिए फ्री यात्रा की सुविधा देने का वादा।
सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल प्रत्येक जिले में खोलने का वादा; प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य बीमा ₹ 25 लाख तक।
पुराने पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme, OPS) को पुनर्स्थापित करने का वचन।
5. कृषि-किसान-बाजार सुधार
किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी – विभिन्न फसलों के लिए।
मंडियों (APMC मंडियों) का पुनरूत्थान, स्थान-स्थानीय बाज़ारों को पुनर्जीवित करने का वादा।
ग्रामीण रोजगार गारंटी श्रमदिवस (MNREGA) के तहत दायित्वों में वृद्धि व् कार्यदिवसों को बढ़ाने का प्रस्ताव।
6. औद्योगिक-उच्च-प्रौद्योगिकी संरचना, रोड-इन्फ्रा
टू थाऊज़ंड (2,000) एकड़ पर शिक्षा-सिटी, IT पार्क, विशेष आर्थिक ज़ोन (SEZ), औद्योगिक क्लस्टर्स स्थापित करने का वादा।
राज्य में पाँच नए एक्सप्रेसवे बनाने का प्रस्ताव।
7. प्रवर्तन-सामाजिक न्याय-धार्मिक कल्याण
आरक्षित श्रेणियों (SC/ST/OBC) के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने का वादा, तथा इसे संविधान के “नवां अनुसूची” (Ninth Schedule) में शामिल करने का प्रस्ताव।
वक्फ़ (संशोधन) विधेयक को राज्य में लागू न करने तथा वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने का वादा।
पारंपरिक कामों (बरबर, मोची, बढ़ई, मोतीकार, गार्डनर आदि) के लिए पाँच लाख रुपये का ब्याज-रहित ऋण (5 years) देने का वादा।
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कुछ विशेष बातें और चुनौतियाँ
घोषणापत्र में यह दावा किया गया है कि इतने बड़े वादों को कम समय में लागू किया जाएगा — जैसे 20 दिन में कानून लाना, 20 महीनों में मुकम्मल करना।
इन वादों का वित्तीय भार बहुत बड़ा होगा — नौकरी देना, मुफ्त बिजली, बड़े पेंशन-भत्ते आदि का खर्च-आकलन सार्वजनिक रूप से विस्तृत नहीं है।
आलोचनाएँ यह भी कर रही हैं कि इन वादों को व्यवहार में लाना कितना संभव है — उदाहरण के लिए, 1 परिवार = 1 सरकारी नौकरी देना, जहाँ राज्य में इतने कई परिवार हैं और रिक्तियों की संख्या सीमित है।
विधान और संसाधन-प्रबंधन, कार्यान्वयन-मैकेनिज़म, समय-सीमा आदि की स्पष्टता अभी कम-अधिक है।




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