मोदी को राजनीतिक फंडिंग और समर्थन, अडानी को सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स।
नरेंद्र मोदी और गौतम अडानी के बीच का रिश्ता भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा चर्चित और विवादास्पद मुद्दों में से एक है।
दोनों गुजरात के हैं और उनका संबंध 2000 के दशक की शुरुआत से चला आ रहा है, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। अडानी ग्रुप को गुजरात सरकार से कई बड़े प्रोजेक्ट मिले, जैसे मुंद्रा पोर्ट का 30 साल का कॉन्ट्रैक्ट। 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, अडानी की संपत्ति में तेजी से इजाफा हुआ
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उनकी नेट वर्थ 2014 में करीब 3.5 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2022 में दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति तक पहुंच गई।मुख्य बिंदु:व्यावसायिक समर्थन: मोदी सरकार ने अडानी को एयरपोर्ट्स (जैसे नवी मुंबई), पोर्ट्स, कोयला खदानें, रिन्यूएबल एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में फायदा पहुंचाया। उदाहरण के लिए, पर्यावरण नियमों में बदलाव से अडानी की कोयला खदानों को मंजूरी मिली। विदेश यात्राओं के बाद अडानी को डील्स मिलना आम रहा
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जैसे केन्या, श्रीलंका, बांग्लादेश और इजरायल में।राजनीतिक संबंध: अडानी को मोदी के 'मेक इन इंडिया' और 'डिजिटल इंडिया' जैसे अभियानों का बड़ा समर्थक माना जाता है। 2014 चुनाव के बाद मोदी अडानी के प्राइवेट जेट से दिल्ली लौटे थे। विपक्ष (जैसे कांग्रेस) इसे 'क्रोनी कैपिटलिज्म' कहता है, जहां सार्वजनिक संपत्ति निजी हितों को सौंपी जा रही है। राहुल गांधी ने कहा,
"मोदी और अडानी एक ही हैं।
"विवाद:2023 में हिंदनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी पर स्टॉक मैनिपुलेशन और फ्रॉड के आरोप लगाए, जिससे शेयरों में भारी गिरावट आई।नवंबर 2024 में यूएस में अडानी पर 250 मिलियन डॉलर की ब्राइबरी का आरोप लगा, जिसमें भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देकर सोलर पावर कॉन्ट्रैक्ट्स हासिल करने का केस है। विपक्ष ने मोदी सरकार पर जांच रोकने का आरोप लगाया।हाल ही में (2025 में) मिसाइल पार्ट्स स्कैम और पर्यावरण उल्लंघनों के आरोप लगे हैं।
दोनों पक्ष:समर्थक दृष्टिकोण: अडानी की सफलता को मोदी की प्रो-बिजनेस पॉलिसी का नतीजा माना जाता है। दोनों ने गुजरात मॉडल से भारत को विकसित करने का दावा किया।विरोधी दृष्टिकोण: यह रिश्ता लोकतंत्र के लिए खतरा है,
जहां एक व्यक्ति (अडानी) को असीमित फायदा मिल रहा है। प्रोटेस्ट्स में मोदी-अडानी के पुतले जलाए जाते हैं।कुल मिलाकर, यह दोस्ती से ज्यादा साझेदारी लगती है
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मोदी को राजनीतिक फंडिंग और समर्थन, अडानी को सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स। लेकिन हाल के स्कैंडल्स से दबाव बढ़ रहा है, और मोदी ने खुद को दूर रखने की कोशिश की है। अगर और डिटेल्स चाहिए, तो बताएं!




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