उत्तर प्रदेश के प्रमुख भ्रष्टाचार घोटालों का पर्दाफाश
उत्तर प्रदेश में कई दशकों में विभिन्न क्षेत्रों में कई बड़े घोटाले हुए हैं। इनमें से कुछ सबसे ज़्यादा चर्चित और बड़े घोटालों का विवरण नीचे दिया गया है:
उत्तर प्रदेश के प्रमुख घोटालों का विवरण
ये वो मामले हैं जिन्होंने राज्य की राजनीति और प्रशासन पर गहरा असर डाला है:
1. एनआरएचएम (NRHM) घोटाला (2010-2012)
* क्या था: राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Rural Health Mission) के तहत केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश को आवंटित फंड में बड़े पैमाने पर धांधली।
* प्रकृति: फंड का उपयोग एम्बुलेंस, दवाएँ, चिकित्सा उपकरण, और निर्माण कार्यों में किया जाना था, लेकिन ये फंड फर्जी कंपनियों और ऊँची कीमतों पर खरीद के माध्यम से निजी खातों में डाइवर्ट किए गए।
* परिणाम: इस घोटाले में दो मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMOs) की रहस्यमय परिस्थितियों में हत्याएँ हुईं, जिससे मामला और भी संगीन हो गया। CBI ने जांच शुरू की, जिसमें कई बड़े अधिकारी और राजनेता शामिल पाए गए।
2. चावल वितरण/फूड ग्रेन घोटाला (1990s-2007)
* क्या था: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत गरीबों को वितरित किए जाने वाले चावल और गेहूँ जैसे खाद्य अनाजों की हेराफेरी।
* प्रकृति: करोड़ों रुपये का अनाज गोदामों से गायब कर दिया गया और इसे नेपाल या पड़ोसी राज्यों में ऊंचे दामों पर बेच दिया गया। फर्जी रसीदों और कागज़ातों का इस्तेमाल करके यह दिखाया गया कि अनाज गरीबों को वितरित कर दिया गया है।
* परिणाम: इस घोटाले ने राज्य के गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को सीधे प्रभावित किया। CBI ने 2007 में जांच संभाली और बड़े राजनेताओं के शामिल होने की बात सामने आई।
3. नोएडा प्लॉट आवंटन घोटाला (2007-2011)
* क्या था: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी द्वारा कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्लॉटों के आवंटन में अनियमितताएँ।
* प्रकृति: उच्च-प्रोफ़ाइल राजनेताओं और अधिकारियों ने अपने करीबियों और फर्जी कंपनियों को सस्ते दामों पर बेशकीमती ज़मीनें आवंटित कीं, जिससे सरकार को हज़ारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
* परिणाम: कई IAS और PCS अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई और उन्हें जेल जाना पड़ा।
4. ई-टेंडरिंग (E-Tendering) घोटाला (2017)
* क्या था: उत्तर प्रदेश जल निगम (UP Jal Nigam) में 1300 करोड़ रुपये से ज़्यादा के ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में धांधली।
* प्रकृति: आरोप था कि एक खास कंपनी को लाभ पहुँचाने के लिए टेंडर की शर्तों को बदला गया और टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर किया गया।
* परिणाम: इस मामले में पूर्व मंत्रियों और कई अधिकारियों पर जाँच बिठाई गई।
5. टीचर भर्ती घोटाला
* क्या था: उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (2020) और इससे पहले की कई अन्य शिक्षक भर्तियों में धांधली के आरोप।
* प्रकृति: प्रश्न पत्र लीक करना, परीक्षा में न बैठने वाले उम्मीदवारों को पास घोषित करना, और मेरिट लिस्ट में हेरफेर करने के आरोप लगे।
* परिणाम: कई बार कोर्ट के दखल के बाद भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई, लेकिन बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए और कई जालसाज़ गिरफ्तार किए गए।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के ये मामले मुख्य रूप से सार्वजनिक धन के दुरुपयोग, सरकारी पदों के दुरुपयोग और ज़मीन/निर्माण से जुड़े रहे हैं। विभिन्न सरकारों ने समय-समय पर इन घोटालों की जाँच के लिए SIT या CBI जाँच बिठाई है, लेकिन कई मामलों में न्यायिक प्रक्रिया अभी भी चल रही है।


Comments