भारत में कुल सड़क घोटालों का विवरण/Details of total road scams in India
भारत में कुल सड़क घोटालों का विवरण
भारत एक
विकासशील राष्ट्र है, जहां सड़कें अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। स्वतंत्रता के बाद से सड़क निर्माण पर अरबों रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन भ्रष्टाचार ने इस क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। सड़क घोटाले न केवल सरकारी खजाने को लूटते हैं, बल्कि जनता की जान-माल की हानि भी करते हैं। पॉथोल्स, पुल ढहना और घटिया निर्माण जैसी समस्याएं आम हो गई हैं।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के 40% बजट भ्रष्टाचार में उड़ जाते हैं। विश्व बैंक की एक स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि सड़क क्षेत्र में भ्रष्टाचार से सालाना अरबों डॉलर का नुकसान होता है। इस निबंध में हम भारत के प्रमुख सड़क घोटालों का विवरण देंगे, उनके कारणों, प्रभावों और समाधानों पर चर्चा करेंगे। कुल मिलाकर, इन घोटालों से अब तक लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जो देश की प्रगति को बाधित कर रहा है।सड़क घोटालों की जड़ें गहरी हैं। सबसे बड़ा कारण राजनीतिक हस्तक्षेप है।
स्थानीय विधायक (MLA) और सांसद अक्सर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाते हैं, जो उनके जाति या रिश्तेदारी से जुड़े होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) में 4% फंड्स का दुरुपयोग इसी कारण से होता है। ठेकेदार घटिया सामग्री का उपयोग करते हैं, बिल फुलाते हैं और कमीशन देते हैं। निगरानी की कमी, कमजोर कानूनी प्रक्रिया और L1 (सबसे कम बोली) सिस्टम भी जिम्मेदार हैं। L1 सिस्टम में ठेकेदार कम कीमत पर काम लेते हैं, लेकिन बाद में क्वालिटी पर समझौता करते हैं।
CAG की 2023 रिपोर्ट में 'भारतमाला परियोजना' पर सवाल उठाए गए, जहां डिजाइन में खामियां और अतिरिक्त खर्च सामने आए।भारत के प्रमुख सड़क घोटालों में मुंबई BMC रोड स्कैम सबसे कुख्यात है। 2015-2016 में ब्रिहनमुंबई म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (BMC) के तहत 234 सड़कों के निर्माण में ₹1,700 करोड़ का घोटाला हुआ। ठेकेदारों ने घटिया बिटुमेन का उपयोग किया, जिससे मानसून में सड़कें टूट गईं।
छह ठेकेदारों—KR कंस्ट्रक्शन, J कुमार इन्फ्राप्रोजेक्ट्स, RPS इन्फ्राप्रोजेक्ट्स, RK माधनी, महावीर इन्फ्राप्रोजेक्ट्स और रेलकॉन इन्फ्राप्रोजेक्ट्स—के खिलाफ FIR दर्ज हुई। इन ठेकेदारों ने 2012-2015 के बीच ₹4,259 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए। जांच में पाया गया कि थर्ड-पार्टी ऑडिटर्स SGS और IRS ने भी मिलीभगत की। 169 BMC अधिकारियों में से 56 दोषी पाए गए, लेकिन अपील में सजा कम हुई। इस घोटाले से मुंबईवासियों को सालाना लाखों घंटे ट्रैफिक जाम में फंसना पड़ता है।उत्तर-पूर्वी राज्यों में सड़क घोटाले व्यापक हैं। BJP की 2013 रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस शासन में NE राज्यों में सड़क निर्माण में ₹58,000 करोड़ का घोटाला हुआ।
इसमें मणिपुर रोड कंस्ट्रक्शन स्कैम, सिक्किम PMGSY स्कैम और मेघालय का ₹2,300 करोड़ का प्रोजेक्ट शामिल है। 2024 में मेघालय सरकार ने शिलांग-तुरा रोड प्रोजेक्ट में फ्रॉड की जांच शुरू की, जहां नौ लोग—इंजीनियर और टेलंगाना-हरियाणा के ठेकेदार—नामित हुए। फंड्स निकासी के बाद भी सड़कें अधर में लटक गईं। मणिपुर में लोकतक झील क्लीनिंग से जुड़े रोड स्कैम में करोड़ों गबन हुए।
इन घोटालों से आदिवासी क्षेत्रों की कनेक्टिविटी प्रभावित हुई, जिससे आर्थिक विकास रुका।महाराष्ट्र में हाल के वर्षों में सड़क घोटाले बढ़े हैं। 2024 में कांग्रेस ने BJP पर ₹10,903 करोड़ का रोड स्कैम लगाया। पुणे रिंग रोड प्रोजेक्ट में कॉस्ट दोगुनी कर दी गई, और दो कंपनियों को चार-चार पैकेज दिए गए। NHAI के मानकों से 100% ज्यादा खर्च हुआ। 2025 में आदित्य ठाकरे ने EOW जांच की मांग की, दावा किया कि टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार था। महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MSRDC) में गाइडलाइंस बदलकर टनल वर्क को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया।
इससे ₹10,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ।बिहार में सड़क विभाग भ्रष्टाचार का केंद्र रहा है। 2025 में उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी यादव पर ₹26.16 करोड़ का आरोप लगाया। गया डिवीजन में तीन सड़कों के निर्माण में अवैध पेमेंट हुए, जहां राजा कंस्ट्रक्शन को कॉन्ट्रैक्ट मिला। स्टोन चिप्स झारखंड से मंगाए बिना ही बिल पास कर दिए गए। RJD ने आरोपों को खारिज किया, लेकिन जांच जारी है। बिहार में पुल ढहने की घटनाएं आम हैं—2021-2024 में 21 ब्रिज गिरे, जिनमें से कई घटिया निर्माण से। CAG रिपोर्ट में कहा गया कि 10% ब्रिज कॉलैप्स खराब मटेरियल से होते हैं।
पश्चिम बंगाल में 2023 में इंडिया टुडे की जांच ने TMC शासित पंचायत में रोड स्कैम उजागर किया। ₹33 लाख की कंक्रीट रोड और ₹7 लाख की ब्रिक सोलिंग रोड के फंड्स निकले, लेकिन साइट पर कुछ नहीं मिला। पंचायत ने कोलकाता हाईकोर्ट को गलत हलफनामा दिया कि DM ने वेरिफाई किया। इससे ₹70 लाख का गबन हुआ। बंगाल में कोल स्मगलिंग और टीचर रिक्रूटमेंट स्कैम के साथ रोड घोटाले जुड़े हैं।राष्ट्रीय स्तर पर PMGSY में राजनीतिक भ्रष्टाचार प्रमुख है। 2017 की साइंस डायरेक्ट स्टडी के अनुसार, MLA कनेक्टेड ठेकेदारों को प्राथमिकता से 86% ज्यादा सड़कें गायब हो जाती हैं। 4,127 कॉन्ट्रैक्ट्स में से 1,900 में हस्तक्षेप, जिससे $540 मिलियन (लगभग ₹4,500 करोड़) का नुकसान। 2000 में 3.3 लाख गांव कनेक्ट नहीं थे, लेकिन भ्रष्टाचार से 8.57 लाख लोग अब भी कटे हुए हैं। भारतमाला में CAG ने 2023 में suboptimal स्पेसिफिकेशन की आलोचना की, जैसे द्वारका एक्सप्रेसवे का डिजाइन।कुल वित्तीय प्रभाव भयावह है।
विकिपीडिया के अनुसार, 1948 से अवैध फ्लो से $462 बिलियन (₹38 लाख करोड़) का नुकसान। सड़क क्षेत्र में ही ₹1-2 लाख करोड़ सालाना। 2024 में साइबर स्कैम्स से ₹11,333 करोड़ गंवाए, लेकिन इंफ्रा स्कैम्स इससे ज्यादा। KPMG रिपोर्ट में कहा गया कि हाई-लेवल करप्शन इकोनॉमी को डिरेल कर रहा है। सामाजिक प्रभाव: 2025 में गुजरात के गंभीरा ब्रिज कॉलैप्स में 13 मौतें। 1977-2017 में 2,130 ब्रिज गिरे। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी बढ़ी, क्योंकि सड़कें न बनने से बाजार पहुंच नहीं।
पर्यावरणीय नुकसान: घटिया निर्माण से प्रदूषण बढ़ा।कारणों में राजनीतिक दबाव प्रमुख है। UNODC रिपोर्ट में PPP प्रोजेक्ट्स में प्राइवेट पार्टनर्स को RTI के दायरे में लाने की सिफारिश। EY स्टडी में इंफ्रा सेक्टर सबसे भ्रष्ट बताया। L1 सिस्टम से क्वालिटी प्रभावित। रखरखाव की कमी: सड़कें बनने के बाद इग्नोर।समाधान के उपाय: पारदर्शिता बढ़ाएं—ई-टेंडरिंग, GPS ट्रैकिंग। क्वालिटी बेस्ड सिलेक्शन अपनाएं। सख्त कानून: PCA के तहत स्पेशल कोर्ट।
व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन। ट्रेनिंग: इंजीनियर्स को एंटी-करप्शन ट्रेनिंग। CAG जैसी एजेंसियों को ज्यादा पावर। सिविल सोसाइटी की भागीदारी।निष्कर्षतः, भारत के सड़क घोटाले विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा हैं। लाखों करोड़ का नुकसान, हजारों जिंदगियां दांव पर। सरकार को तत्काल सुधार करने होंगे, वरना 'हाईवे टू हेल' की चेतावनी साकार हो जाएगी। पारदर्शिता और जवाबदेही से ही हम मजबूत इंफ्रा बना सकते हैं। (शब्द संख्या: 1028)





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