. R. Gavai की ओर जूता फेंकने का मामला सामने आया है।
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संभावित कानून और कार्रवाई
1. अदालत में अवमानना (Contempt of Court)
जो व्यक्ति अदालत या न्यायाधीश की गरिमा को ठेस पहुँचाए — जैसे अपमानजनक आचरण — उस पर अदालत खुद ही अवमानना की कार्यवाही कर सकती है।
“Contempt of Courts Act, 1971” के तहत अदालत को यह शक्ति है।
यदि अपराध सिद्ध हो, तो दंड अधिकतम 6 महीने की जेल और/या ₹2,000 तक जुर्माना हो सकता है।
2. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएँ
क्योंकि न्यायाधीश एक सार्वजनिक अधिकारी (public servant) हैं, तो अन्य अपराध धाराएँ भी लग सकती हैं जैसे:
धारा 353, IPC — जब कोई सार्वजनिक अधिकारी को उसके कर्तव्यों को अंजाम देने से रोकने की कोशिश करे (क्रिमिनल फोर्स या धमका कर)
अन्य सम्बन्धित धाराएँ, जैसे हमला (assault), हानि पहुँचाना आदि, यदि उस व्यक्ति ने शारीरिक चोट पहुँचाई हो।
3. शिल्प और अनुशासनात्मक कार्रवाई
अगर आरोपी वकील है, तो बार काउंसिल / अधिवक्ता पंजीकरण प्राधिकरण कार्रवाई कर सकते हैं — लाइसेंस निलंबन या अनुदेशक कार्रवाई।
न्यायपालिका या उच्च न्यायालय / सुप्रीम कोर्ट अपने अनुपालन और सुरक्षा दृष्टिकोण से अतिरिक्त कदम उठा सकती है।
4. एफ़आईआर / आपराधिक मामला
पुलिस में एफआईआर दर्ज की जा सकती है यदि शिकायत हो।
लेकिन अदालत या न्यायाधीश की सुरक्षा और संवेदनशील मामला होने के कारण, प्रक्रिया में विशेष सावधानी बरती जाएगी।
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उदाहरण और वर्तमान मामला
हाल ही में Supreme Court में CJI (Chief Justice of India) B. R. Gavai की ओर जूता फेंकने का मामला सामने आया है।
इस मामले में, आरोपी वकील राकेश किशोर हैं, जिनके विरुद्ध वर्दी वकील पैनल और बार काउंसिलों ने निलंबन की कार्रवाई की है।
न्यायपालिका और वकील समुदाय ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इस तरह की हरकतों को निरु
ज्जित नहीं रहने देने की मांग हो रही है।
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