मोदी और RSS का संबंध:

 नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच का रिश्ता गहरा और लंबा है, 


लेकिन यह कहना कि "मोदी RSS के लिए काम कर रहे हैं" एक जटिल सवाल है, जिसका जवाब कई परतों में छिपा है। आइए इसे तथ्यों और संदर्भ के आधार पर समझते हैं:



मोदी और RSS का संबंध:


1.पृष्ठभूमि:


नरेंद्र मोदी RSS के प्रचारक रह चुके हैं। वे 1970 के दशक में RSS से जुड़े और पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में गुजरात में सक्रिय रहे। उनकी विचारधारा और नेतृत्व शैली RSS की हिंदुत्ववादी विचारधारा से प्रभावित रही है।


RSS ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में BJP और मोदी के लिए व्यापक समर्थन दिया, जिसमें स्वयंसेवकों ने बूथ स्तर पर प्रचार किया।



RSS का प्रभाव:


RSS, BJP की वैचारिक मातृसंस्था है। 

नीतियों और नियुक्तियों में इसका प्रभाव दिखता है। उदाहरण:शिक्षा नीति (NEP 2020) और इतिहास की किताबों में बदलाव, जो भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व पर जोर देते हैं।विश्वविद्यालयों और संस्थानों में RSS से जुड़े लोगों की नियुक्तियां।अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, 


जो RSS की लंबे समय की मांग थी।RSS की सहयोगी संस्थाएं जैसे विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल सरकार की नीतियों को समर्थन देती हैं।मोदी की स्वायत्तता:कई विश्लेषक मानते हैं कि मोदी RSS की विचारधारा को लागू करते हैं, लेकिन वे पूरी तरह RSS के नियंत्रण में नहीं हैं।


 मोदी ने अपनी व्यक्तिगत छवि ("मोदी ब्रांड") बनाई है, जो RSS से स्वतंत्र है।कुछ मामलों में RSS और BJP/मोदी के बीच मतभेद भी दिखे हैं। उदाहरण:2015 में भूमि अधिग्रहण बिल पर RSS ने असहमति जताई थी।


RSS ने CAA-NRC जैसे मुद्दों पर सरकार को और सख्त करने का दबाव बनाया, लेकिन मोदी ने रणनीतिक रूप से कदम पीछे खींचे।मोदी की विदेश नीति और आर्थिक सुधार (जैसे GST, डिजिटल इंडिया) RSS की विचारधारा से कम, बल्कि वैश्विक और आर्थिक जरूरतों से ज्यादा प्रेरित हैं।


विवाद और आलोचना:विपक्ष (जैसे कांग्रेस, वामपंथी) का दावा है कि मोदी सरकार RSS के एजेंडे को लागू कर रही है, जैसे:हिंदुत्व को बढ़ावा देना, अल्पसंख्यकों (विशेषकर मुस्लिमों) के खिलाफ नीतियां।


"एक राष्ट्र, एक संस्कृति" की अवधारणा को लागू करना।हाल के वर्षों में RSS के स्वयंसेवकों की बढ़ती मौजूदगी और उनके बयानों (जैसे जनसंख्या नियंत्रण) ने इस धारणा को बल दिया।2024 में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने अप्रत्यक्ष रूप से BJP की "400 पार" रणनीति की आलोचना की, जिससे कुछ लोग मानते हैं कि RSS और मोदी के बीच तनाव भी है।


क्या मोदी RSS के लिए काम कर रहे हैं?हां, आंशिक रूप से: मोदी की नीतियां RSS की विचारधारा (हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक एकता) के अनुरूप हैं। राम मंदिर, धारा 370 हटाना, और UCC (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पर जोर जैसे कदम RSS के एजेंडे से मेल खाते हैं।


नहीं, पूरी तरह नहीं: मोदी एक राष्ट्रीय और वैश्विक नेता हैं, जिनके फैसले राजनीतिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय दबावों से प्रभावित होते हैं। वे RSS के दबाव में काम करते हैं, लेकिन अपनी लोकप्रियता और रणनीति के कारण स्वतंत्र निर्णय भी लेते हैं। 


उदाहरण के लिए, 


अडानी जैसे कॉरपोरेट्स को समर्थन RSS के एजेंडे से ज्यादा आर्थिक रणनीति का हिस्सा लगता है।निष्कर्ष:मोदी और RSS के बीच एक सहजीवी (symbiotic) रिश्ता है—RSS को अपनी विचारधारा लागू करने का मौका मिलता है, और मोदी को संगठन का समर्थन। 

लेकिन यह कहना कि मोदी पूरी तरह RSS के लिए काम कर रहे हैं, सरलीकरण होगा। वे RSS के एजेंडे को बढ़ाते हैं, पर अपनी शर्तों पर और अपने राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हैं।

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