सार्वजनिक रूप से जारी हुआ हो कि Rakesh Kishore को दोषी ठहराया गया हो या उसे अवमानना का दंड दिया गया

 सार्वजनिक रूप से जारी हुआ हो कि Rakesh Kishore को दोषी ठहराया गया हो या उसे अवमानना का दंड दिया गया हो।


जो निम्न दस्तावेज़ और निर्णय सार्वजनिक हुए हैं, वे निम्न हैं:




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जो सार्वजनिक हुआ है


1. SCBA (Supreme Court Bar Association) की सदस्यता समाप्ति की प्रस्तावना / आदेश

SCBA ने Rakesh Kishore की अस्थायी सदस्यता तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दी है। उनका नाम SCBA की रॉल से हटा दिया गया है, उनका मेंबरशिप कार्ड रद्द और सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश हेतु proximity access कार्ड वापस लिया गया है। 

इस तरह यह एक संगठनात्मक/संघ-स्तरीय निर्णय है — लेकिन यह एक न्यायालयी न्यायादेश (judicial order) नहीं है कि अदालत ने दोषी ठहराया। 



2. BCI (Bar Council of India) द्वारा निलंबन

Bar Council of India ने उन्हें तत्काल प्रभाव से कोर्टों में अभ्यास करने से निलंबित किया है और तय किया है कि आगे की अनुशासनात्मक कार्यवाही होगी। 



3. Contempt (अदालत की अवमानना) कार्रवाई हेतु अनुमति माँगी गई

एक अधिवक्ता ने Attorney General को पत्र लिखा है कि वह Criminal Contempt की कार्रवाई की इजाजत दें। यह पत्र इस विचार पर आधारित है कि Kishore का व्यवहार अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। 

लेकिन ये केवल अनुरोध है — अभी तक AG (Attorney General) की अनुमति मिली हो, या अदालत में मुकदमा चल रहा हो, ऐसी जानकारी सार्वजनिक रूप से नहीं मिली। 



4. Zero FIR

एक रिपोर्ट कहती है कि “Zero FIR” दर्ज की गई है— यानि घटना उस जगह न हो, वहाँ पुलिस ने अन्य स्थान पर प्राथमिकी दर्ज की हो। लेकिन यह FIR का विवरण, जारी दस्तावेज या अदालत में दाखिल अभियोग अभी सार्वजनिक नहीं मिला। 





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निष्कर्ष


अभी कोई सार्वजनिक न्यायालयीय आदेश नहीं मिला है जिसमें अदालत ने उन्हें दोषी माना हो या दंड सुनाया हो।


मौजूद सार्वजनिक कार्रवाइयाँ अनुशासनात्मक / संगठनात्मक हैं — SCBA सदस्यता रद्द करना, BCI द्वारा निलंबन — लेकिन ये न्यायालय की राष्ट्रीय शक्ति से जारी निर्णय नहीं हैं।


यदि आगे AG अनुमति देता है और अदालत में contempt याचिका स्वीकार होती है, तो एक न्यायालय द्वारा आदेश आ सकता है — लेकिन अभी तक ऐसा आदेश सार्वजनिक नहीं हुआ है।

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