महात्मा ज्योतिबा फुले की 195वीं जयंती पर देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी, 28 नवंबर 2025 को विशेष कार्यक्रम आयोजित

 नई दिल्ली/पुणे, 

26 नवंबर 2025: भारत के महान समाज सुधारक, महिलाओं के मसीहा और बालिका शिक्षा के प्रणेता महात्मा ज्योतिबा गोविंदराव फुले की 195वीं जयंती इस बार 28 नवंबर 2025, शुक्रवार को देशभर में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाएगी। सामाजिक न्याय और शिक्षा क्रांति के इस महान पुरोधा को याद करने के लिए केंद्र सरकार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान समेत कई राज्य सरकारों ने व्यापक कार्यक्रमों की घोषणा की है



।महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के कटगुन गांव में हुआ था, लेकिन उनकी पुण्यतिथि 28 नवंबर 1890 को हुई। इसलिए भारत में खासकर महाराष्ट्र और दलित-बहुजन समाज में 28 नवंबर को ही उनकी पुण्यतिथि के रूप में “महात्मा ज्योतिबा फुले पुण्यतिथि एवं सामाजिक न्याय दिवस” के रूप में मनाया जाता है, जबकि कुछ संगठन 11 अप्रैल को जयंती के रूप में मनाते हैं। इस बार 28 नवंबर को ही देशव्यापी स्तर पर मुख्य समारोह आयोजित किए जा रहे हैं।


देशभर में आयोजित हो रहे प्रमुख कार्यक्रम


पुणे में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय और फुले वाडा पर भव्य श्रद्धांजलि सभा

महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य स्तरीय कार्यक्रम, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुख्य अतिथि

नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय का राष्ट्रीय सम्मेलन

लखनऊ, पटना, जयपुर, भोपाल में राज्य सरकारों द्वारा बालिका शिक्षा जागरूकता अभियान

बहुजन समाज पार्टी द्वारा पूरे उत्तर भारत में “शिक्षा क्रांति यात्रा”

भीम आर्मी और अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा विशाल रैलियां और सेमिनार

कौन थे महात्मा ज्योतिबा फुले?

ज्योतिबा फुले का जन्म एक माली परिवार में हुआ था। उस समय माली जाति को शूद्र माना जाता था और उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता था। मात्र 13 साल की उम्र में उनकी शादी 9 वर्षीय सावित्रीबाई से हुई। ज्योतिबा ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं पढ़ाया और फिर दोनों ने मिलकर 1848 में पुणे में भारत की पहली बालिका पाठशाला खोली। यह घटना भारतीय इतिहास में महिलाओं की शिक्षा की दिशा में क्रांतिकारी कदम थी।


ज्योतिबा फुले ने कुल 29 स्कूल खोले जिनमें अधिकांश बालिकाओं और दलित-शोषित बच्चों के लिए थे। उन्होंने विधवाओं, दलितों और अछूत कहे जाने वाले लोगों के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए:


1851 में विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए संस्था स्थापित की

1863 में अनाथ बच्चों और विधवाओं के लिए बालहत्या प्रतिबंधक गृह शुरू किया

1873 में “सत्यशोधक समाज” की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था ब्राह्मणवाद और जातिवाद का विरोध करना“


गुलामगिरी”(1873), “शेतकऱ्याचा आसुड”, “सार्वजनिक सत्यधर्म” जैसी पुस्तकें लिखीं


ज्योतिबा फुले ने सबसे पहले “दलित” और “शोषित” शब्दों का प्रयोग किया और आज के आरक्षण और सामाजिक न्याय की नींव रखी। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने स्वयं कहा था कि उनके तीन गुरु थे – बुद्ध, फुले और कबीर।


2025 के कार्यक्रमों की खास बातें


इस बार की जयंती इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह 195वीं जयंती है और अगले साल (2027) उनके जन्म के 200 साल पूरे हो रहे हैं। इसलिए सरकारें अभी से दो साल का व्यापक उत्सव चला रही हैं।


केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने घोषणा की है कि:


पूरे देश में 10,000 नई “सावित्रीबाई फुले बालिका विद्या ज्योति योजना” के तहत स्कूल शुरू किए जाएंगे

ग्रामीण क्षेत्रों में 1 लाख बालिकाओं को मुफ्त टैबलेट वितरित किए जाएंगे

पुणे में 200 फीट ऊंची महात्मा ज्योतिबा फुले की प्रतिमा स्थापित करने की योजना को मंजूरी

महाराष्ट्र सरकार ने 28 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है और सभी सरकारी स्कूलों में “ज्योतिबा-सावित्रीबाई जीवन गाथा” पर निबंध प्रतियोगिता अनिवार्य की है।

दलित-बहुजन समाज में उत्साह

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कहा, “महात्मा ज्योतिबा फुले ने जिस शिक्षा क्रांति की नींव रखी, उसे हमें आगे बढ़ाना है।”

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने ट्वीट किया, “28 नवंबर को लाखों की संख्या में दिल्ली आएंगे और बाबा साहब के साथ-साथ महात्मा फुले को भी श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।

निष्कर्ष

महात्मा ज्योतिबा फुले केवल एक व्यक्ति नहीं, एक विचारधारा हैं। उन्होंने 19वीं सदी में ही वह सपना देखा था जो आज संविधान के रूप में हमारे सामने है। 

28 नवंबर 2025 को पूरा देश एक स्वर में कहेगा:“जय ज्योतिबा! जय सावित्री!

शिक्षा क्रांति अमर रहे!!”(शत-शत नमन उस महान समाज सुधारक को जिन्होंने सदियों की गुलामी की जंजीरें तोड़ने का साहस दिखाया।

जय भीम! जय ज्योतिबा!!

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