SIR सिस्टम पर बढ़ता विवाद: 19 दिनों में 6 राज्यों में 16 BLO की मौत से देशभर में हड़कंप, काम का दबाव और अव्यवस्था पर उठ रहे गंभीर सवाल
प्रस्तावना: SIR प्रणाली पर मचा देशव्यापी घमासान
भारत के चुनावी इतिहास में पहली बार किसी सत्यापन प्रक्रिया को लेकर इतना व्यापक विवाद खड़ा हो गया है। “SIR” यानी Systematic Information Revision नामक नई प्रक्रिया, जिसे चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची के सुधार और अपडेट के लिए लागू किया है, अब गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है।
जहाँ सरकार और चुनाव आयोग इसे “मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी और आधुनिक बनाने वाला कदम” बता रहे हैं, वहीं विपक्ष, कर्मचारी संगठन और जमीनी स्तर पर काम करने वाले BLO (Booth Level Officer) इसे “अत्यधिक बोझ, अव्यवस्थित और खतरे से भरा” करार दे रहे हैं।
पिछले 19 दिनों में देश के 6 राज्यों में 16 BLO की मौत की खबरें सामने आ चुकी हैं—यह आँकड़ा इतना बड़ा है कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए चेतावनी माना जाएगा।
इन मौतों में हृदयाघात, तनाव, सड़क हादसे और आत्महत्या जैसे मामले शामिल हैं। कई स्थानों पर BLO ने शिकायत की है कि SIR प्रक्रिया लागू होने के बाद उन पर अत्यधिक काम का दबाव पड़ रहा है, जबकि संसाधन और सहयोग न्यूनतम स्तर पर है।
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1. SIR प्रक्रिया क्या है? और विवाद क्यों?
SIR—Systematic Information Revision
यह चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई नई मतदाता पहचान सत्यापन प्रणाली है, जिसमें नागरिकों को अपनी जानकारी स्वयं सत्यापित करनी होती है।
परंतु बताया जा रहा है कि:
यह डेटा 22 साल पुरानी मतदाता सूची के आधार पर खंगाला जा रहा है।
BLO को हजारों फॉर्म घर–घर जाकर भरवाने का दायित्व दिया गया।
समय सीमा बेहद कम रखी गई।
कई राज्यों में मोबाइल ऐप और स्कैनिंग सिस्टम फ़ेल हुआ।
ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के अभाव ने समस्या और बढ़ाई।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली अगर चरणबद्ध तरीके से लागू होती तो शायद हालात इतने गंभीर नहीं बनते।
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2. 6 राज्यों में 16 BLO की मौत — राज्यवार जमीनी स्थिति
समाचार रिपोर्ट्स और स्थानीय मीडिया में छपी जानकारियों के अनुसार पिछले 19 दिनों में जो 16 मौतें हुईं, वे इस प्रकार बताई जा रही हैं:
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(A) मध्य प्रदेश – 24 घंटे में दो BLO की मौत, एक लापता
मध्य प्रदेश से सामने आई खबरों ने पूरे देश को हिला दिया।
एक BLO की मौत हार्ट अटैक से बताई गई
दूसरे अधिकारी की लाश दो दिन बाद नाले के पास मिली
तीसरा व्यक्ति अभी भी लापता बताया जा रहा है
रिपोर्ट्स के अनुसार कई BLO सुबह से रात तक लगातार घर-घर जाकर सत्यापन का काम कर रहे थे।
कुछ अधिकारियों ने लिखा कि:
> “दिन में 12–14 घंटे काम करना पड़ रहा है, ऐप बार-बार क्रैश हो जाता है, डेटा एंटर नहीं होता। तनाव इतना बढ़ गया है कि कई लोग बीमार पड़ रहे हैं।”
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(B) गुजरात – 4 दिन में 4 BLO की मौत
गुजरात से आए समाचारों ने इस बहस को और तीखा कर दिया है।
एक BLO ने तनाव के चलते आत्महत्या कर ली
एक की मौत हृदयाघात से
दो अधिकारियों की सड़क दुर्घटना में जान गई
स्थानीय यूनियनों ने आरोप लगाया कि:
> “जो लोग आमतौर पर निगरानी कार्य करते हैं, उनसे अचानक इतना भारी-भरकम फील्ड वर्क करवाना मानव संसाधन का दुरुपयोग है।”
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(C) पश्चिम बंगाल – अचानक 3 मौतें, परिवारों में हड़कंप
पश्चिम बंगाल में लगातार तीन BLO के मरने की खबरों ने विवाद को और गहरा दिया है।
राज्य कर्मचारियों के संगठन ने कहा कि:
BLO को 12 घंटे प्रतिदिन काम कराया गया
ग्रामीण क्षेत्रों में सूचियों की संख्या इतनी अधिक थी कि सत्यापन असंभव था
स्कूलों, कार्यालयों और अन्य विभागों के कार्य भी समानांतर चलते रहे
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों पर “अत्यधिक दबाव” डाला जा रहा है।
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3. SIR प्रक्रिया को लेकर विपक्ष और सामाजिक संगठनों के गंभीर आरोप
देशभर में इस मुद्दे ने राजनीतिक रूप ले लिया है। कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर कहा कि:
यह किसी सुधार का सिस्टम नहीं बल्कि अव्यवस्थित प्रबंधन है
कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ाकर उनकी जान जोखिम में डाली जा रही है
SIR को तुरंत रोककर पूरी समीक्षा करवानी चाहिए
बूथ लेवल अधिकारियों की मौतें प्रशासनिक विफलता का प्रमाण हैं
यूनियनों ने कहा कि पिछले 22 वर्षों की मतदाता सूचियों के आधार पर की जा रही यह प्रक्रिया बेहद जटिल और अनावश्यक है।
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4. BLO की कठिनाइयाँ: “ऐप बार-बार क्रैश होता है, इंटरनेट नहीं चलता, समय सीमा कम है”
जमीनी स्तर पर काम करने वाले BLO की मुख्य समस्याएँ:
1. तकनीकी खामियाँ
SIR ऐप स्कैनिंग के समय फ्रीज़ हो जाता है
ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क नहीं मिलता
पुरानी सूचियों से नाम मिलाना मुश्किल होता है
2. शारीरिक और मानसिक दबाव
दिन में 12–15 घंटे लगातार पैदल चलना
हजारों घरों का सर्वेक्षण
अत्यधिक गर्मी/सर्दी में काम करना
किसी भी गलती पर नोटिस मिलने का डर
3. अमानवीय समय सीमा
कुछ जिलों में पूरे ब्लॉक का सत्यापन एक सप्ताह के अंदर माँगा गया
छुट्टी और आराम की सुविधा समाप्त
कई BLO ने सोशल मीडिया पर लिखा:
> “यह सिस्टम सुधार नहीं है, बल्कि जबरदस्ती का बोझ है जो परिवार और जीवन दोनों पर असर डाल रहा है।”
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5. चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया और आधिकारिक बयान
हालाँकि चुनाव आयोग ने यह प्रक्रिया “पारदर्शिता सुनिश्चित करने वाली आधुनिक पहल” बताई है, उन्होंने अभी तक BLO की मौतों पर कोई विस्तृत आधिकारिक प्रेस नोट जारी नहीं किया है।
कुछ राज्यों के जिला चुनाव अधिकारियों ने कहा कि:
वे मृत्यु मामलों की जाँच कर रहे हैं
अधिक तनाव या दबाव की शिकायत मिली है
काम का बोझ कम करने के लिए टीमों का पुनर्गठन किया जाएगा
लेकिन कर्मचारी संगठनों का कहना है कि:
> “सिर्फ आश्वासन से काम नहीं चलेगा, SIR प्रक्रिया की संपूर्ण समीक्षा ज़रूरी है।”
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6. क्या SIR प्रक्रिया को रोका जा सकता है? संविधान और कानून क्या कहते हैं?
कानून विशेषज्ञों के अनुसार:
चुनाव आयोग को “सुपरिंटेंडेंस, डायरेक्शन और कंट्रोल” का अधिकार है
लेकिन किसी भी प्रक्रिया से यदि कर्मचारियों की जान जोखिम में पड़ती है, तो इसे रोकने या संशोधित करने का अधिकार भी आयोग के पास है
राज्य सरकारें भी सहायक स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आदेश पारित कर सकती हैं
कई विधि विशेषज्ञों ने कहा:
> “सिस्टम सुधार ज़रूरी है, लेकिन मानव संसाधन को जोखिम में डालकर नहीं।”
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7. क्या SIR से मतदाता सूची में सुधार होगा? विशेषज्ञों की राय
समर्थक जो मानते हैं:
इससे मृतक या डुप्लीकेट मतदाताओं का नाम हट जाएगा
फर्जी वोटिंग कम होगी
नई तकनीकों से डेटा अधिक स्वच्छ होगा
विरोधी कहते हैं:
प्रक्रिया बहुत जल्दी लागू की गई
प्रशिक्षण और संसाधन नहीं दिए गए
बड़ी संख्या में लोगों को परेशानी हो रही है
समयसीमा अव्यवहारिक है
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8. जमीनी सच: नागरिकों की भी परेशानी
SIR प्रक्रिया से नागरिकों में भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है:
कई लोगों को पता नहीं कि उन्हें क्या फॉर्म भरना है
कुछ लोग अपने नाम गायब होने से आशंकित हैं
बूथ लेवल अधिकारी घर न पहुँचने पर लोग परेशान हो जाते हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में पहचान पत्र दिखाने में समस्याएँ आ रही हैं
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9. समाधान क्या हो सकता है? विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए 7 बड़े कदम
1. SIR प्रक्रिया को तुरंत चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए
2. BLO की संख्या बढ़ाई जाए
3. तकनीकी ऐप की कमियों को दूर किया जाए
4. काम की समयसीमा बढ़ाई जाए
5. अतिरिक्त भत्ता, सुरक्षा और बीमा दिया जाए
6. 22 साल पुरानी सूचियों को अपडेट करने के बजाय नई बेस लिस्ट बनाई जाए
7. प्रक्रिया की स्वतंत्र समीक्षा कमेटी गठित की जाए
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10. निष्कर्ष: SIR पर उठते सवाल और आगे की राह
SIR प्रक्रिया का उद्देश्य चाहे कितना भी अच्छा रहा हो, लेकिन इसके लागू होने के तरीके को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। देश के 6 राज्यों में 16 BLO की मौतें प्रशासन और चुनाव आयोग दोनों के लिए बड़ा चैलेंज बन गई हैं।
चुनाव लोकतंत्र की नींव है, और इसे संभालने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा और सम्मान सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
BLO की मौतें सिर्फ आंकड़े नहीं हैं—वे संकेत हैं कि प्रणाली में गहरे स्तर पर सुधार की आवश्यकता है।
अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इन आवाज़ों को सुनते हुए क्या ठोस कदम उठाता है।
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