कर्नाटक में सत्ता का घमंड! BJP नेता के बेटे ने टोल कर्मचारी पर हमला किया, CCTV फुटेज ने खोली पोल
“‘तू जानता है मेरा बाप कौन है?’ — कर्नाटक में BJP नेता विजयगौड़ा पाटिल के बेटे की गुंडागर्दी, टोल कर्मी को सिर्फ पैसे मांगने पर पीटा”
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📍 घटना की शुरुआत:
घटना 1 नवंबर 2025 की सुबह की बताई जा रही है। जब एक SUV कार टोल प्लाज़ा से गुज़र रही थी, तो टोल बूथ पर मौजूद कर्मचारी ने सामान्य प्रक्रिया के तहत वाहन को रोकते हुए टोल शुल्क मांगा। इस पर गाड़ी में बैठे युवक ने गुस्से में जवाब दिया —
> “तू जानता है मेरा बाप कौन है?”
कर्मचारी ने शांत लहजे में कहा कि “सर, हमें बस टोल की राशि चाहिए, चाहे आप कोई भी हों।” लेकिन यह जवाब युवक के अहंकार को नागवार गुज़रा और उसने कार से उतरकर टोल कर्मचारी पर हमला बोल दिया।
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📹 CCTV में कैद पूरी वारदात:
सोशल मीडिया पर वायरल हुए CCTV फुटेज में साफ दिखाई देता है कि एक युवक सफेद कपड़े पहने हुए टोल बूथ में घुसता है और वहां खड़े कर्मचारी को धक्का देता है। फिर वह उसे थप्पड़ और मुक्के मारने लगता है। आसपास मौजूद अन्य कर्मचारियों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन आरोपी युवक का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था।
वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि एक दूसरा व्यक्ति आरोपी को शांत करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन युवक बार-बार चिल्ला रहा है —
> “मेरे पिता विधायक हैं... मेरे से पैसे मांगने की हिम्मत कैसे की!”
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🚓 पुलिस की कार्रवाई:
घटना के बाद टोल कर्मियों ने स्थानीय थाने को इसकी सूचना दी। सारवाड पुलिस थाना क्षेत्र में आने वाले इस टोल प्लाज़ा पर पुलिस ने पहुंचकर CCTV फुटेज जब्त किया।
पुलिस ने बताया कि अब तक आधिकारिक शिकायत (FIR) दर्ज नहीं हुई है, क्योंकि टोल कंपनी के मैनेजर ने पहले आंतरिक जांच शुरू करने की बात कही थी।
हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद जनता और विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, जिसके चलते पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेकर आरोपी की पहचान शुरू कर दी।
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👨💼 आरोपी कौन है?
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी युवक कर्नाटक के भाजपा नेता विजयगौड़ा पाटिल का बेटा है। पाटिल स्वयं पूर्व विधायक रहे हैं और भाजपा के प्रभावशाली नेताओं में से एक माने जाते हैं।
पाटिल परिवार का विजयपुरा जिले में अच्छा राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव है। इसीलिए घटना के बाद स्थानीय प्रशासन भी दबाव में बताया जा रहा है।
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🗣️ पिता विजयगौड़ा पाटिल का बयान:
मीडिया से बात करते हुए विजयगौड़ा पाटिल ने कहा —
> “मेरा बेटा अभी युवा है, उससे गलती हुई होगी। लेकिन किसी ने अगर मेरे परिवार का अपमान किया है तो उसका गुस्सा भी समझा जा सकता है। मामला इतना बड़ा नहीं है जितना दिखाया जा रहा है।”
उनके इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया। जनता ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए कि “क्या नेताओं के बच्चों को आम नागरिकों से ऊपर समझा जाए?”
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🔥 सोशल मीडिया पर विरोध की लहर:
घटना का वीडियो X (Twitter), Instagram, और Facebook पर तेजी से वायरल हो गया।
लोगों ने कमेंट करते हुए लिखा:
“ये ‘मेरा बाप कौन है’ कल्चर कब खत्म होगा?”
“अगर आम आदमी ऐसा करे तो तुरंत जेल में डाल दिया जाता।”
“BJP को ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।”
#TollPlazaAttack और #KarnatakaBJP ट्रेंड करने लगे।
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🧑⚖️ कानूनी पहलू:
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस घटना में IPC की धारा 323 (मारपीट), 341 (अवैध रूप से रोकना) और 506 (धमकी देना) लग सकती है।
अगर टोल कर्मी या कंपनी आधिकारिक रूप से शिकायत दर्ज कराते हैं, तो आरोपी को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
हालांकि, अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने बयान जारी किया है कि “जांच जारी है और सबूत जुटाए जा रहे हैं।”
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🏛️ राजनीतिक प्रभाव:
घटना के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा पर हमला बोला है।
कांग्रेस प्रवक्ता दिनेश गुंडूराव ने ट्वीट किया —
> “भाजपा नेता के बेटे खुलेआम कानून हाथ में ले रहे हैं। क्या ये ‘डबल इंजन सरकार’ की कानून व्यवस्था है?”
वहीं JDS के नेता एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि यह घटना दिखाती है कि भाजपा के कुछ नेताओं के बच्चे खुद को राजा समझते हैं।
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🧩 जनता की प्रतिक्रिया:
विजयपुरा और आसपास के इलाकों में लोगों ने टोल प्लाज़ा पर धरना भी दिया, मांग की कि आरोपी पर सख्त कार्रवाई हो।
कई सामाजिक संगठनों ने भी कहा कि यह “सत्ता के नशे” का खतरनाक उदाहरण है।
कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर आरोपी पर कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे राज्य के टोल बूथों पर हड़ताल की जाएगी।
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📰 मीडिया की भूमिका:
राष्ट्रीय चैनलों ने भी इस मुद्दे को उठाया।
NDTV, India Today, Republic, और स्थानीय कन्नड़ मीडिया ने इसे प्रमुखता से दिखाया।
NDTV की रिपोर्ट में कहा गया कि “पुलिस प्रशासन पर राजनीतिक दबाव के चलते जांच धीमी है।”
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⚖️ जनता की मांग:
सोशल मीडिया पर #JusticeForTollWorker ट्रेंड करने लगा।
लोग मांग कर रहे हैं कि:
1. आरोपी की तुरंत गिरफ्तारी हो
2. टोल कर्मचारी को मुआवजा मिले
3. राजनैतिक दबाव में जांच न हो
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📈 राजनीतिक विश्लेषण:
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे मामलों से जनता में “नेताओं के परिवारों के प्रति गुस्सा” बढ़ता जा रहा है।
यह घटना भाजपा के लिए 2025 के अंत में होने वाले स्थानीय चुनावों में नुकसानदेह साबित हो सकती है।
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💬 निष्कर्ष:
कर्नाटक की यह घटना केवल एक व्यक्ति के गुस्से की नहीं, बल्कि उस मानसिकता की झलक है जो सत्ता के नशे में आम नागरिकों को नीचा दिखाने की कोशिश करती है।
कानून सबके लिए समान होना चाहिए, चाहे वह किसी नेता का बेटा हो या आम नागरिक।
अगर सरकार और पुलिस निष्पक्ष जांच करती है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा। लेकिन अगर मामला दबा दिया गया, तो जनता का भरोसा फिर एक बार टूटेगा।
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