मतदान तिथि (Phase-1): 6 नवंबर 2025 — 121 विधानसभा सीटें पहले चरण में वोटिंग में। / "Bihar Election 2025 Phase-1 | 6 November Voting | 121 Constituencies | Candidates & Schedule"
बिहार चुनाव 2025: 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान – जनता की आवाज़ से उठेगा लोकतंत्र का नया स्वर
"Bihar Election 2025 Phase-1 Voting: 6 नवंबर को पहले चरण के मतदान में 121 सीटों पर जनता तय करेगी बिहार की नई दिशा। NDA, महागठबंधन और जनसुराज के बीच कांटे की टक्कर। प्रशासन की तैयारी और जनता के मुद्दों पर पूरी रिपोर्ट।"
बिहार चुनाव 2025: 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान – जनता की आवाज़ से उठेगा लोकतंत्र का नया स्वर
पटना, 4 नवंबर 2025: बिहार में इस बार की चुनावी हलचल पूरे जोरों पर है। 6 नवंबर 2025 को होने वाले पहले चरण के मतदान को लेकर राज्य के 121 विधानसभा क्षेत्रों में माहौल गर्म है। यह चरण न सिर्फ राजनीतिक दलों की परीक्षा है बल्कि जनता के विश्वास की भी कसौटी बनने जा रहा है। चुनाव आयोग ने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं और अब नजरें जनता पर टिकी हैं जो अपने वोट से राज्य की दिशा तय करेगी।
पहले चरण की सीटें और मतदान का कार्यक्रम
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान होगा। इनमें ज्यादातर सीटें उत्तर और मध्य बिहार के जिलों में हैं, जैसे सहरसा, मधेपुरा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बक्सर, भोजपुर और कैमूर। इन इलाकों में चुनावी उत्साह चरम पर है। मतदान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा।
मुख्य राजनीतिक मुकाबला
इस बार का चुनाव त्रिकोणीय होता जा रहा है। एक ओर एनडीए गठबंधन (भाजपा-जदयू), दूसरी ओर महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वाम दल), और तीसरी ओर जनसुराज पार्टी जैसी नई ताकतें मैदान में हैं। जनसुराज आंदोलन ने युवाओं और नए वोटरों में चर्चा पैदा की है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार जनता जातीय समीकरणों से ज्यादा विकास, रोजगार और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर मतदान करेगी। जनता यह देखना चाहती है कि अबकी बार बिहार का विकास किसे वोट देकर आगे बढ़ाया जा सकता है।
मतदान की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था
चुनाव आयोग ने पहले चरण के लिए 20 जिलों में 121 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान की पूरी तैयारी कर ली है। लगभग 1.5 लाख सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। हर मतदान केंद्र पर सीसीटीवी और VVPAT मशीनें लगाई जा रही हैं ताकि पारदर्शिता बनी रहे। राज्य के 65 हजार से ज्यादा बूथों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ मतदान होगा।
विशेष निगरानी टीम (SST) और फ्लाइंग स्क्वॉड भी सक्रिय हैं जो पैसे या शराब वितरण जैसी गड़बड़ियों पर रोक लगा रहे हैं। प्रशासन ने मतदान से पहले सभी संवेदनशील बूथों की पहचान कर ली है।
जनता का जोश और मुद्दे
बिहार की जनता में इस बार उत्साह साफ झलक रहा है। युवा वर्ग इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकता है क्योंकि 18-25 वर्ष के नए वोटरों की संख्या बढ़ी है। महिलाएँ भी इस बार बड़ी संख्या में मतदान करने को तैयार हैं।
जनता के प्रमुख मुद्दे हैं — बेरोज़गारी, शिक्षा, महंगाई, सड़क और स्वास्थ्य व्यवस्था। ग्रामीण इलाकों में किसानों की समस्याएँ और बिजली-पानी की दिक्कतें चर्चा में हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों में नौकरी, व्यापार और सुरक्षा के मुद्दे गर्म हैं।
जनता की आवाज़ — बदलाव की मांग
गांव-गांव में यह भावना मजबूत हो रही है कि अब बिहार को विकास के नए रास्ते पर लाना होगा। आम नागरिक यह कह रहा है कि सिर्फ भाषणों से नहीं, काम से बिहार बदलेगा।
एक कॉलेज छात्र ने कहा, “हम सिर्फ जाति देखकर वोट नहीं देंगे, हमें रोजगार चाहिए और शिक्षा का सुधार चाहिए।” यह बयान दिखाता है कि इस बार युवा सोच पारंपरिक राजनीति से अलग है।
चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर फोकस
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को अपडेट करने और फर्जी वोटिंग पर रोक लगाने के लिए नई तकनीकें लागू की हैं। QR कोड आधारित वोटर पर्ची और मोबाइल वेरिफिकेशन से मतदाताओं की पहचान मजबूत की जा रही है। मतदान से पहले ईवीएम मशीनों की मॉक टेस्टिंग सभी जिलों में हो चुकी है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO Bihar) ने बताया कि प्रत्येक बूथ पर आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं — रैंप, पीने का पानी, महिला मतदाताओं के लिए अलग कतार, और दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था।
पहले चरण में कौन-कौन से जिले शामिल
पहले चरण में ये जिले शामिल हैं: सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर, बांका, बक्सर, भोजपुर, कैमूर, पटना ग्रामीण, औरंगाबाद, नवादा, जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, मुंगेर, बेगूसराय।
हर जिले में प्रशासन ने शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा बलों की विशेष तैनाती की है। संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन सर्विलांस भी किया जा रहा है।
उम्मीदवारों की स्थिति
पहले चरण में लगभग 1314 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 120 महिलाएँ हैं। कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला है, जहां पुराने नेताओं को नए चेहरों से चुनौती मिल रही है।
जनता में इस बार उम्मीदवारों की छवि और ईमानदारी पर भी चर्चा हो रही है। अब मतदाता केवल पार्टी देखकर नहीं, बल्कि उम्मीदवार के काम और जनता से जुड़ाव देखकर वोट डालना चाहता है।
मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका
इस बार का चुनाव डिजिटल युग का है। फेसबुक, व्हाट्सऐप और एक्स (Twitter) पर चुनावी चर्चा हर गली तक पहुँच गई है। मतदाता अब सोशल मीडिया पर भी उम्मीदवारों की नीतियों की तुलना कर रहे हैं।
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और अफवाहों पर रोक लगाने के लिए विशेष मॉनिटरिंग सेल बनाई है।
महिलाओं और युवाओं की निर्णायक भूमिका
बिहार में पिछले कुछ वर्षों में महिला मतदाताओं की भागीदारी बढ़ी है। पहले चरण में अनुमान है कि महिला वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहेगा। आत्मनिर्भर समूहों और पंचायत स्तर पर सक्रिय महिलाओं ने मतदाता जागरूकता अभियान चलाया है।
युवाओं की भूमिका भी अहम है। वे रोजगार, शिक्षा और डिजिटल विकास जैसे मुद्दों पर जागरूक हैं। जनसुराज जैसे आंदोलन युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं।
चुनाव परिणाम और उम्मीदें
हालांकि नतीजे 14 नवंबर को आएंगे, लेकिन पहले चरण के मतदान से यह स्पष्ट होगा कि जनता का झुकाव किस दिशा में है। 2020 के चुनावों की तुलना में इस बार जनता का मूड बदला-बदला दिख रहा है। कई जगहों पर
उम्मीदवारों के मुद्दे राष्ट्रीय विषयों से ज्यादा प्रभावी हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि पहले चरण के नतीजे बिहार की सत्ता का ट्रेंड तय कर सकते हैं। अगर किसी गठबंधन को यहां बढ़त मिलती है, तो वह दूसरे चरण पर असर डालेगा।
जनता की अपील — वोट जरूर करें
चुनाव आयोग और नागरिक संगठनों ने मतदाताओं से अपील की है कि वे हर हाल में मतदान करें। "आपका वोट आपका अधिकार है" — इस संदेश के साथ युवाओं और प्रथम बार वोट देने वालों को प्रेरित किया जा रहा है।
कई जिलों में “मतदान महोत्सव” जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोग वोट डालने जाएं।
निष्कर्ष: बिहार की दिशा तय करेगा पहला चरण
6 नवंबर को होने वाला मतदान बिहार की राजनीति में निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि जनता के विश्वास की परीक्षा है। हर वोटर के मन में यह भावना है कि अब बिहार को नए सपनों और नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ाना होगा।
जनता की आवाज़ ही असली लो
कतंत्र है — और इस बार यह आवाज़ गूंज उठी है कि “हम बदलेंगे बिहार को।”



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