कांग्रेस का बड़ा मोर्चा — “SIR और वोट चोरी” के खिलाफ 14 दिसंबर को रामलीला मैदान में रैली

 शीर्षक: कांग्रेस का डकैती और लोकतंत्र बचाओ मार्च — दिसंबर के पहले सप्ताह में रामलीला मैदान में महासभा


लीड: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दिसंबर के पहले सप्ताह में दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़े पैमाने पर रैली/प्रदर्शन आयोजित करने जा रही है, जिसका लक्ष्य निर्वाचन आयोग (ECI) पर “पार्टियों के वोट चोरी” की साजिश रचने का आरोप लगाकर उसे लोकतंत्र ध्वस्त करने की कार्रवाई के लिए सार्वजनिक रुप से बेनकाब करना है। कांग्रेस इस Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ जोर-शोर से आवाज बुलंद कर रही है, जिसे वह “न्याय के लिए लड़ाई” और “लोकतंत्र का संरक्षण” कह रही है।

Sumit

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पृष्ठभूमि और कारण


1. SIR क्या है, और कांग्रेस को समस्या क्यों है

कांग्रेस का आरोप है कि निर्वाचन आयोग (Election Commission of India, ECI) “SIR – Special Intensive Revision” प्रक्रिया का उपयोग राजनीतिक मकसद से कर रहा है। यह प्रक्रिया काम में यहां तक आ गई है कि पार्टी का कहना है कि इसके जरिए वोटर सूची में निर्दिष्ट समुदायों के वोटर्स को हटाया जा सकता है। 


कांग्रेस नेता K C Venugopal ने कहा है कि यह "vote chori" (वोट चोरी) की एक योजना है। 


Mallikarjun Kharge ने ECI को कटु चेतावनी दी है — उन्होंने कहा है कि आयोग को यह दिखाना चाहिए कि वह “BJP की परछाई नहीं” है, और उसे याद रखना चाहिए कि उसकी निष्ठा जनता के प्रति है, न कि किसी सत्तारूढ़ पार्टी के प्रति। 


कांग्रेस का यह आरोप है कि SIR के ज़रिए विपक्ष-झुकाव वाले वोटर्स को “डिलीट” करने की रणनीति बनाई जा रही है। 


पार्टी यह भी कह रही है कि SIR प्रक्रिया को बहुत जल्दी (one month में) पूरा किया जा रहा है, जबकि सामान्यतः यह छह महीने से एक साल ले सकता है। 


कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया है कि BLOs (Booth Level Officers) पर ज़्यादा दबाव है — कुछ राज्यों में कार्य का बोझ इतना ज़्यादा है कि आत्महत्या की खबरें भी सामने आई हैं। 




2. लोकतंत्र और संस्थागत भरोसेमंदी की चुनौती

कांग्रेस का मानना है कि अगर ECI निष्पक्ष न हो, और वह सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में काम करे, तो यह सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं बल्कि “संस्थागत साज़िश” बन जाती है। Kharge और अन्य नेताओं ने सीधी चेतावनी दी है कि यह लोकतंत्र का संकट है। 


पार्टी ने ज़ोर देकर कहा है कि वह लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतर रही है — वोटर सूची की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बहाल करने के लिए। 





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योजना और आयोजन


प्रदर्शन की तिथि और मंच: रैली पहले सप्ताह में होगी, स्थान दिल्ली का रामलीला मैदान निर्धारित किया गया है। 


प्रचार और तैयारी:


कांग्रेस ने पहले ही एक राष्ट्रीय स्तर की हस्ताक्षर अभियान शुरू की है, जिसे उसने “vote chori” के खिलाफ बड़े पैमाने पर जन समर्थन जुटाने का माध्यम बनाया है। 


पार्टी नेताओं ने कहा है कि ब्लॉक और जिला स्तर पर सतर्कता बरती जाएगी, यानी बूथ-स्तर पर एजेंट नियुक्त किए जाएंगे ताकि हर पिछलग्गू बदलाव और संभावित हेरफेर को ट्रैक किया जा सके। 


AICC (All India Congress Committee) की समीक्षा बैठक में, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने निर्णय लिया कि “लाखों लोग” इस रैली में शामिल होंगे। 



नेतृत्व:


इस अभियान में कांग्रेस अध्यक्ष Mallikarjun Kharge प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। 


राहुल गांधी और KC Venugopal जैसे वरिष्ठ नेता भी योजना में सक्रिय हैं। 



संदेश:


प्रमुख नारों में “लोकतंत्र बचाओ”, “वोट चोरी रोको”, “निर्वाचन आयोग जवाबदेह बनो” शामिल हो सकते हैं, क्योंकि कांग्रेस ने repeatedly ECI पर “सिंस्टर डिज़ाइन्स” (ख़ुफ़िया साजिश) का आरोप लगाया है। 


पार्टी यह दिखाना चाहती है कि यह सिर्फ राजनीतिक प्रदर्शन नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा का एक मोर्चा है।





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चुनौतियाँ और संभावित असर


1. लॉजिस्टिक और लोगों को इकठ्ठा करना


लाखों लोगों को रैली में लाना आसान नहीं है — कांग्रेस को विभिन्न राज्यों में अपने प्रचार नेटवर्क का सहारा देना होगा।


सुरक्षा और परमिट: बड़े पैमाने की रैली को आयोजित करने के लिए स्थानीय प्रशासन, दिल्ली पुलिस और अन्य अधिकारियों से अनुमति और सहयोग आवश्यक होगा।


कोरोना, भीड़ प्रबंधन, ट्रैफिक जैसी वास्तविक चुनौतियाँ भी हो सकती हैं, खासकर रामलीला मैदान जैसा बड़ा स्थल।




2. राजनीतिक जोखिम


यदि रैली में कम लोग आएँ तो यह कांग्रेस के लिए राजनीतिक शर्मिंदगी हो सकती है, और विपक्ष उसे कमजोर दिखा सकता है।


दूसरी ओर, यदि रैली बहुत सफल रही, तो कांग्रेस का लोकतंत्र रक्षक के रूप में इमेज मजबूत हो सकती है, और ECI पर दबाव बढ़ सकता है।


BJP या अन्य सत्ताधारी दलों द्वारा नकारात्मक प्रचार या जॉब/सरकारी सुविधाओं के बहाने संभावित दबाव का खतरा हो सकता है।




3. ECI की प्रतिक्रिया


ECI कांग्रेस की चिंताओं पर प्रतिक्रिया दे सकती है — वह यह कह सकती है कि SIR प्रक्रिया निष्पक्ष और संवैधानिक है।


आयोग की भूमिका और उसकी जवाबदेही पर सार्वजनिक बहस तेज हो सकती है — यह लोकतांत्रिक संस्थानों की जवाबदेही की दिशा में सकारात्मक कदम भी हो सकता है।




4. जन समर्थन और जनचेतना


कांग्रेस की यह मुहिम जनचेतना बढ़ाने की रणनीति है — वह चाहती है कि आम जनता ECI के कामकाज पर सवाल उठाए।


यह रैली सिर्फ पार्टी समर्थकों तक सीमित न रहकर आम नागरिकों में लोकतंत्र और वोटिंग प्रक्रिया के प्रति जागरूकता पैदा कर सकती है।






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विश्लेषण


कांग्रेस की यह रणनीति यह दर्शाती है कि वह न केवल चुनावी राजनीति कर रही है, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा को अपने एजेंडे का हिस्सा बना रही है।


ECI के खिलाफ यह “वोट चोरी” का आरोप कांग्रेस के लिए एक मजबूत नारों-का मुद्दा बन सकता है — विशेष रूप से उन राज्यों में जहां SIR चल रही है।


यह रैली कांग्रेस के लिए जनसमर्थन और प्रामाणिकता हासिल करने का अवसर हो सकती है, लेकिन असफलता उसकी छवि को चोट भी पहुँचा सकती है।


अगर Ramlila Maidan में बड़ी सफलता मिली, तो इसे भविष्य में और बड़े पैमाने पर विपक्षी आंदोलन में

 परिवर्तनकारी कदम माना जा सकता है — खासकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के दृष्टिकोण से।


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