अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े 30 ठिकानों पर ईडी की बड़ी कार्रवाई: तीन राज्यों में छापे, फंडिंग और नेटवर्क की जांच तेज

 

अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े तीन राज्यों में ईडी का बड़ा अभियान: 30 स्थानों पर छापेमारी, फंडिंग चैनल और संदिग्ध नेटवर्क पर जांच तेज


📍 प्रास्तावना: जांच की जड़ में लालकिला के पास हुआ धमाका


Flipkart

10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के करीब हुए धमाके ने न सिर्फ राजधानी के सुरक्षा ढांचे को हिला दिया, बल्कि देश की विभिन्न खुफिया और जांच एजेंसियों के सामने नए सवाल भी खड़े कर दिए। इस धमाके के बाद जाँच में जो परतें खुलनी शुरू हुईं, उनमें से एक महत्वपूर्ण कड़ी अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े नेटवर्क के रूप में सामने आई।


जांच एजेंसियों को शक था कि यह नेटवर्क किसी बड़े फंडिंग मॉड्यूल का हिस्सा हो सकता है, जिसके जरिए संदिग्ध गतिविधियों को आर्थिक और लॉजिस्टिक सहायता दी जा रही थी। इसी कड़ी में अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने तीन राज्यों—दिल्ली, हरियाणा और मध्यप्रदेश—में एक साथ बड़े लेवल पर छापेमारी अभियान चलाया।



---


📍 30 लोकेशन पर तड़के से छापेमारी शुरू: कार्रवाई का पूरा विवरण


रिपोर्ट के अनुसार, ईडी की टीम ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े ट्रस्ट, कंपनियों, हॉस्टल, एडमिनिस्ट्रेटिव दफ्तर और संबंधित लोगों के घरों पर छापेमारी की।


इस अभियान में कुल 30 लोकेशन शामिल थीं:


हरियाणा: बल्लभगढ़, फरीदाबाद, मेवात क्षेत्र


दिल्ली: शाहीन बाग, जामिया नगर, ओखला, स्थानीय कार्यालय


मध्यप्रदेश: संभावित फंडिंग से जुड़े सहयोगियों के आवास और दफ्तर



छापेमारी तड़के सुबह 6 बजे के आसपास शुरू हुई और देर शाम तक जारी रही। ईडी की टीमों के साथ स्थानीय पुलिस, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और साइबर जांच कर्मचारी भी मौजूद रहे।



---


📍 क्यों बनी अल-फलाह यूनिवर्सिटी जांच का केंद्र?


अल-फलाह यूनिवर्सिटी हरियाणा के फरीदाबाद में संचालित होती है और इसका संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। प्रारंभिक जांच में NIA को संदिग्ध लेन-देन, विदेशी फंडिंग, अनियमित ट्रस्ट गतिविधियों और कुछ आपत्तिजनक वित्तीय मूवमेंट्स की जानकारी मिली थी।


जांच एजेंसियों को शक है कि यूनिवर्सिटी या उसके ट्रस्ट के नाम पर कुछ लोगों ने:


संदिग्ध व्यक्तियों को आर्थिक सहायता दी


फर्जी लेन-देन दिखाए


इसके नाम पर विदेशी फंडिंग को गलत दिशा में इस्तेमाल किया


कुछ संदिग्ध व्यक्तियों को नौकरी/आश्रय दिया



इन्हीं आधारों पर ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच सौंप दी गई।



---


📍 जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश: NIA की रिमांड ने खोले कई राज


दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने हाल ही में लालकिला धमाका मामले के आरोपी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश को 10 दिनों की NIA कस्टडी में भेजा है।


जांच में यह सामने आया कि:


उसने धमाके में इस्तेमाल हुए उपकरणों की सप्लाई के बारे में जानकारी दी


उसने बताया कि कैसे उसने दिल्ली में ठिकाने बनाए


वह किससे मिला और किसे रिपोर्ट देता था


कौन लोग उसके लिए रसद तैयार कर रहे थे



सबसे महत्वपूर्ण जानकारी यह मिली कि दानिश के संपर्कों में कुछ लोग शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े थे।


इसी खुलासे के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सामने आया और छापेमारी का दायरा तेजी से बढ़ाया गया।



---


📍 धमाके की जांच: कैसे मिला यूनिवर्सिटी का लिंक?


NIA की जांच के दौरान दानिश के मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट और मैसेजिंग एप्स से कई क्लू मिले। डिजिटल फॉरेंसिक विश्लेषण में सामने आया कि:


वह यूनिवर्सिटी से जुड़े एक कर्मचारी से संपर्क में था


कुछ डिजिटल भुगतान यूनिवर्सिटी से जुड़े खातों के एरिया से हुए


कुछ गुमनाम ईमेल सर्वरों से गतिविधियां ट्रैक की गईं


हॉस्टल और कैंपस के वाई-फाई नेटवर्क से जुड़ाव मिला



हालांकि एजेंसी ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि यूनिवर्सिटी का संस्थागत रूप से इसमें कोई रोल है या नहीं।


पर जांच में यह पाया गया कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ लोगों का दानिश और उसके सहयोगियों से सीधा या परोक्ष संपर्क जरूर था।



---


📍 ईडी को क्या क्या मिला? प्रारंभिक रिपोर्ट


छापेमारी के दौरान ईडी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए:


ट्रस्ट फंडिंग के लेजर


विदेशी दान और FCRA दस्तावेज


यूनिवर्सिटी के वेतन भुगतान रिकॉर्ड


मोबाइल फोन, लैपटॉप, हार्डडिस्क


संदिग्ध UPI ट्रांजेक्शन का डेटा


इनवॉइस और फर्जी बिल्स



कुछ ठिकानों पर तलाशी के दौरान:


सीसीटीवी फुटेज


बर्न किए हुए डॉक्यूमेंट अवशेष


डायरी


एन्क्रिप्टेड चिप्स


विदेशी मुद्रा



भी बरामद हुई।



---


📍 2024 में भी यूनिवर्सिटी पर जांच शुरू हुई थी


दस्तावेजों से पता चला कि 2024 में NIA और ED दोनों ने एक यूनिवर्सिटी कर्मचारी पर नजर रखी थी, क्योंकि वह विदेशी नंबरों से लगातार संपर्क में था।


हालांकि तब जांच आगे नहीं बढ़ी, लेकिन इस धमाके के बाद पूरा केस फिर से एक्टिव हुआ।



---


📍 दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां: संयुक्त ऑपरेशन का खाका


इस ऑपरेशन में तीन एजेंसियां शामिल थीं:


1. NIA – विस्फोट और आतंकी नेटवर्क की जांच



2. ED – मनी लॉन्ड्रिंग और फंडिंग चैनल की जांच



3. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल – स्थानीय नेटवर्क और लॉजिस्टिक समर्थन का विश्लेषण




सभी एजेंसियों ने एक साझा "इंटर-कोऑर्डिनेशन प्रोटोकॉल" के तहत छापेमारी की।



---


📍 विशेषज्ञ विश्लेषण: क्यों बढ़ती जा रही हैं यूनिवर्सिटी-कनेक्शन वाली जांचें?


सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में:


बड़े शहरों में स्थित संस्थानों का दुरुपयोग बढ़ा


फर्जी पहचान के आधार पर हॉस्टल बुकिंग


वाई-फाई नेटवर्क के जरिए गुमनाम गतिविधियां


विदेशी एजेंटों से चैटिंग


फेक एडमिशन और स्टूडेंट कार्ड



इन पैटर्न्स को देखते हुए कई विश्वविद्यालय अब एजेंसियों की निगरानी में हैं।



---


📍 राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्ष और सत्ता पक्ष में जुबानी जंग


छापेमारी के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है।


सरकार का दावा:

“यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। किसी भी संस्थान या व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं माना जाएगा।”


विपक्ष का जवाब:

“शैक्षणिक संस्थानों को निशाना न बनाया जाए। जांच निष्पक्ष होनी चाहिए।”


स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया:

कुछ नेताओं ने कहा कि यूनिवर्सिटी का नाम घसीटकर छात्रों का भविष्य खराब न किया जाए।




---


📍 छात्रों और फैकल्टी में चिंता


अल-फलाह यूनिवर्सिटी के भीतर माहौल तनावपूर्ण है।


कई छात्र डरकर हॉस्टल खाली कर रहे हैं


फैकल्टी सदस्य मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं


परीक्षा और कक्षाएं प्रभावित हो रही हैं



यूनिवर्सिटी प्रशासन का आधिकारिक बयान अभी तक सामने नहीं आया है।



---


📍 प्रमाण मिलने पर क्या आगे की कार्रवाई हो सकती है?


यदि ईडी को ठोस सबूत मिलते हैं:


यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के खातों को फ्रीज किया जा सकता है


संदिग्ध कर्मचारियों की गिरफ्तारी संभव


यूनिवर्सिटी प्रशासन से लम्बी पूछताछ


विदेशी फंडिंग पर रोक


FCRA लाइसेंस की रद्दीकरण


जांच का दायरा बढ़ेगा




---


📍 धमाके की जांच कहां तक पहुंची?


दिल्ली पुलिस, NIA और NSG टीमों ने धमाके की प्रकृति, इस्तेमाल हुए विस्फोटक, डिवाइस संरचना और सर्किट की जांच की है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार:


यह एक “लो इंटेन्सिटी इम्प्रोवाइज्ड ब्लास्ट” था


टाइमर सर्किट स्थानीय रूप से तैयार किया गया


कुछ पार्ट्स दिल्ली और हरियाणा से खरीदे गए


बाकी सामग्री ऑनलाइन मंगाई गई



यह संभव है कि हमला एक बड़े ऑपरेशन का ट्रायल रन हो।



---


📍 राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा क्यों माना जा रहा है?


लाल किला देश का ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व वाला स्थल है।


यहां धमाका होना:


सुरक्षा में सेंध


आतंकी संगठनों की सक्रियता


राजधानी की इंटेलिजेंस में कमी


बड़े हमले का संकेत



जैसे कई खतरनाक पहलुओं की ओर इशारा करता है।



---


📍 निष्कर्ष: आने वाले दिनों में नए खुलासे संभव


तीन राज्यों में एक साथ हुई इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद अब यह जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है।


ईडी और NIA दोनों एजेंसियों का फोकस:


फंडिंग स्रोत


संदिग्ध संपर्क


डिजिटल गतिविधियां


विदेशी लिंक



पर है।


अगले 10 दिनों में NIA की रिमांड से क्या जानकारी मिलती है, यह इस पूरे मामले की दिशा निर्धारित करेगा।


यह साफ है कि देश की सुरक्षा एजेंसियां इस केस को केवल एक “धमाका” नहीं बल्कि एक संभावित बड़े षड्यंत्र के रूप में देख रही हैं।


Al Falah University ED Raid, Delhi Red Fort Blast Case, NIA Investigation, Fund Misuse Case, Delhi-Haryana-MP Raid, Terror Funding Probe, Delhi Explosion Case, ED Search Operation, Al Falah Trust Investigation, NIA Custody Bilal Wani, ED Raid News, Indian Security Agencies




Comments