छत्तीसगढ़–आंध्रप्रदेश सीमा पर सबसे बड़ा ऑपरेशन: खूंखार नक्सली हिड़मा पत्नी सहित ढेर, कुल छह नक्सली मारे गए
मोस्ट-वॉन्टेड नक्सली का मारा जाना सुरक्षा बलों की ऐतिहासिक सफलता
प्रस्तावना (Introduction)
छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र वर्षों से वामपंथी उग्रवाद की समस्या से जूझ रहा है। यहां पुलिस और सुरक्षा बल लगातार अभियान चलाते हैं, लेकिन घने जंगलों, दुर्गम इलाकों और नक्सलियों के नेटवर्क के कारण ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण होते हैं। इस पृष्ठभूमि में मंगलवार सुबह हुई मुठभेड़ पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई।
सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़–आंध्रप्रदेश सीमा पर एक उच्च स्तरीय अभियान चलाकर कुख्यात नक्सली हिड़मा को उसकी पत्नी सहित मार गिराया। हिड़मा लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की वांछित सूची में शामिल था और कई बड़े हमलों में उसकी भूमिका साबित हो चुकी थी।
यह सफलता सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि नक्सल नेटवर्क के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।
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1. कौन था हिड़मा? (नक्सलियों के भीतर सबसे बड़ा नाम)
हिड़मा (Hidma) नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिवीजन का कमांडर था।
उसकी पहचान थी:
बेहद हिंसक
क्रूर विचारधारा
योजनाबद्ध हमलों का मास्टर
छत्तीसगढ़ पुलिस का मोस्ट-वॉन्टेड
हिड़मा पर बड़े हमलों के आरोप:
दंतेवाड़ा 2010 का हमला (76 जवान शहीद)
बुरकापाल हमला 2017 (25 जवान शहीद)
ताड़मेतला हमला
कई आईईडी ब्लास्ट
अधिकारियों की हत्याएं
सालों तक सुरक्षा बल उसे पकड़ने में विफल रहे थे, क्योंकि वह जंगलों के बीच लगातार लोकेशन बदलता रहता था।
इसलिए उसका मारा जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए असाधारण सफलता है।
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2. ऑपरेशन की शुरुआत – कैसे मिली सूचना?
सुरक्षा एजेंसियों को सोमवार देर रात इंटेलिजेंस इनपुट मिला कि:
सीमा क्षेत्र के जंगलों में नक्सलियों की भारी गतिविधि है
हिड़मा और उसकी टीम वहीं ठहरी हुई है
दो प्रमुख नक्सली दल अलग–अलग ठिकानों पर एकत्रित हैं
सूचना पुख्ता होने पर:
DRG
CRPF
209 कोबरा
आंध्रप्रदेश ग्रेहाउंड्स
इन सभी को मिलाकर एक संयुक्त टास्क फोर्स बनायी गयी।
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3. पहली मुठभेड़ – तड़के सुबह जंगल में गूंजे गोलियों के शोर
मंगलवार सुबह जैसे ही टीम जंगल में दाखिल हुई, नक्सलियों ने पहले फायरिंग शुरू कर दी।
सुरक्षा बलों ने जवाबी फायर किया और 45 मिनट तक मुठभेड़ चलती रही।
इस मुठभेड़ में मारे गए:
हिड़मा
उसकी पत्नी
दो अन्य नक्सली
मौके से बरामद:
AK-47
SLR
वायरलेस सेट
विस्फोटक
नक्सली यूनिफॉर्म
दस्तावेज
नक्शे
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4. दूसरी मुठभेड़ – अगले ही दिन फिर भड़की लड़ाई
18 नवंबर की सुबह सुरक्षा बलों को दूसरी टीम की लोकेशन मिली।
फिर से फायरिंग शुरू हुई और करीब एक घंटे तक मुठभेड़ चली।
इसमें दो और नक्सली ढेर हो गए।
कुल मृतक संख्या: 6 नक्सली
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5. क्यों है यह ऑपरेशन इतना महत्वपूर्ण?
हिड़मा का मारा जाना कई कारणों से अहम है—
(1) नक्सलियों की सैन्य ताकत को बड़ा झटका
हिड़मा रणनीतिक दिमाग था।
उसके बिना नक्सलियों का पूरा दक्षिण बस्तर नेटवर्क कमजोर पड़ेगा।
(2) जंगल क्षेत्र में नक्सलियों की गतिविधियों में गिरावट
हिड़मा के नेतृत्व में कई गांव नक्सलियों के प्रभाव में थे।
अब उस नेटवर्क का टूटना लगभग निश्चित है।
(3) सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ेगा
ऐसे अभियानों से जवानों में भरोसा और साहस बढ़ता है।
(4) सरकार की "नक्सल मुक्त भारत" नीति को बल मिलेगा
केन्द्र ने 2030 तक नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य रखा है।
यह ऑपरेशन उसी दिशा में बड़ा कदम है।
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6. नक्सली क्षेत्रों की वास्तविकता – क्यों कठिन है ऑपरेशन?
घने जंगल
ऊँचे पहाड़
मोबाइल नेटवर्क नहीं
फर्जी ग्रामीण नेटवर्क
लोकल गाइडों का न मिलना
नक्सलियों का जाल
इन सभी कारणों से एक-एक कदम जोखिम भरा होता है।
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7. हिड़मा के मारे जाने पर सुरक्षा एजेंसियों की आधिकारिक पुष्टि
अधिकारियों ने बताया कि:
फॉरेंसिक टीम ने शव की पहचान की
फोटो मैच किए गए
स्थानीय सूत्रों ने पुष्टि की
घायल नक्सलियों के पकड़े जाने पर भी सूचना मिली
इसके बाद सरकार ने इसे 2024–25 का सबसे बड़ा ऑपरेशन घोषित किया।
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8. सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में बढ़ी गतिविधियाँ
सूत्रों के अनुसार:
नक्सली अब दहशत में हैं
कई दूसरे क्षेत्र में भागने लगे हैं
कुछ ने आत्मसमर्पण की इच्छा जताई है
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9. आंकड़े बताते हैं कि नक्सलियों पर भारी पड़ा 2024
इस साल:
263 नक्सली मारे गए (छत्तीसगढ़ में)
23 बड़े ऑपरेशन
7 जिलों में पूरी तरह नक्सल प्रभाव खत्म
27 अन्य जिलों में गतिविधियों में भारी कमी
यह ऑपरेशन इन सफलताओं में सबसे बड़ा जोड़ है।
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10. नक्सलियों ने हिड़मा को क्यों बनाया था 'सबसे बड़ा चेहरा'?
जंगल की पूरी भौगोलिक जानकारी
गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग
खुफिया नेटवर्क
ग्रामीणों पर नियंत्रण
‘हिट एंड रन’ तकनीक में माहिर
इसी कारण वह हर बार सुरक्षा बलों को चकमा दे देता था।
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11. ऑपरेशन के दौरान जवानों की बहादुरी
मुठभेड़ में जवानों ने:
बिना पीछे हटे लगातार जवाब दिया
घने जंगलों में भी लोकेशन बनाए रखी
रात–भर पहरा दिया
घायल साथियों को निकालकर सुरक्षित पहुँचाया
यह कार्रवाई कई घंटों तक चली, फिर भी जवानों ने मोर्चा संभाले रखा।
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12. विशेषज्ञों की राय – नक्सलवाद को खत्म करने की बड़ी शुरुआत
सुरक्षा विश्लेषक बताते हैं कि:
हिड़मा की मौत नक्सल संगठन की रीढ़ पर प्रहार
महिला नक्सलियों का समूह भी बिखर सकता है
दक्षिण बस्तर का नक्शा बदल जाएगा
नक्सलियों की फंडिंग ठप पड़ सकती है
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13. स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
गांव वालों ने राहत व्यक्त की है:
अब जंगल में डर कम होगा
बच्चों को स्कूल भेज पाएंगे
नक्सलियों का दबाव कम होगा
सड़क विकास में तेजी आएगी
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14. क्या खत्म हो जाएगा नक्सलवाद?
पूरी तरह खत्म करना कठिन है, मगर:
संगठन कमजोर
नेटवर्क टूट रहा
नए भर्ती कम
नेता मारे जा रहे
अगले 4–5 साल में बस्तर "नक्सल मुक्त" होने की संभावना जताई जा रही है।
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15. निष्कर्ष (Conclusion)
हिड़मा का मारा जाना न सिर्फ सुरक्षा बलों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए बड़ी उपलब्धि है।
यह नक्सलवाद के खिलाफ चल रही जंग में निर्णायक मोड़ हो सकता है।
यह साबित करता है कि:
सुरक्षा बल तैयार हैं
इंटेलिजेंस मजबूत है
सरकार की नीति सही दिशा में है
अब आने वाले महीनों में और भी बड़े ऑपरेशन होने की संभावना है।
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