मध्य प्रदेश में प्याज ₹2 किलो पहुंची: किसान बोले— “हम खून के आंसू रो रहे हैं” | प्याज संकट की जमीनी हकीकत
मध्य प्रदेश में ₹2 किलो प्याज की कीमत पर गहराता संकट
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“हम खून के आंसू रो रहे हैं, हमारी मेहनत का कोई मूल्य नहीं।”
यह ब्लॉग पोस्ट इसी जमीनी हकीकत की पूरी कहानी बताता है।
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🟥 प्याज का दाम ₹2 किलो — आखिर क्यों?
कई मंडियों में प्याज का रेट इतना गिर गया कि किसानों को परिवहन खर्च भी निकालना मुश्किल हो गया।
मुख्य कारण:
इस बार उत्पादन बहुत ज्यादा
भंडारण (स्टोरेज) की भारी कमी
मांग स्थिर और आपूर्ति अधिक
निर्यात में कमी
सरकार की खरीद में देरी
व्यापारी मंडियों में कम सक्रिय
इससे किसान मजबूर होकर औने-पौने दाम पर प्याज बेचने लगे।
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🟩 किसानों की कहानी — “हमारी मेहनत बर्बाद हो गई”
मध्य प्रदेश के किसान बताते हैं कि एक एकड़ प्याज उगाने में 25,000 से 40,000 रुपये का खर्च आता है।
लेकिन मंडी में जब प्याज का भाव ₹2 किलो मिलता है तो उन्हें 70% तक का नुकसान होता है।
किसानों का कहना है:
“ट्रैक्टर से मंडी ले गए, किराया ही 1500 लग गया।”
“बेचते हैं तो नुकसान, घर लाते हैं तो भी नुकसान।”
“ऐसा लगता है खेती ही छोड़ दें।”
यह तकलीफ़ सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि मानसिक और पारिवारिक स्तर पर भी असर डालती है।
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🟦 वायरल वीडियो ने दिखाई किसानों की सच्चाई
कांग्रेस द्वारा शेयर किए गए वीडियो में एक किसान खेत में प्याज निकालते हुए रोते-रोते कहता है:
“हम अपनी प्याज खुद उखाड़कर फेंक रहे हैं। कोई नहीं खरीद रहा। इतनी मेहनत का यही फल मिला है?”
वीडियो में प्याज के ढेर, खेत में मेहनत करती महिलाएँ और टूटे हुए किसान का दर्द साफ दिखता है।
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🟨 मंडियों की स्थिति — बोरी पर बोरी, खरीदार नहीं
इंदौर
उज्जैन
मंदसौर
शाजापुर
रतलाम
इन सभी मंडियों में प्याज की बोरियाँ लगी हैं, लेकिन खरीदार कम हैं। व्यापारी कहते हैं—
“अगर सस्ता खरीदेंगे भी तो आगे बेच नहीं पाएंगे।”
यानि बाजार पूरा ठप पड़ा है।
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🟧 राजनीतिक घमासान भी तेज
प्याज संकट चुनावी राज्य में बड़ा मुद्दा बन गया है।
कांग्रेस का आरोप
किसानों को कोई राहत नहीं
सरकारी खरीद बंद
MSP में प्याज शामिल करो
किसानों को मुआवजा दो
भाजपा का जवाब
समस्या अस्थायी
जल्द खरीद योजना
किसानों को घबराने की जरूरत नहीं
विपक्ष मुद्दा भुना रहा है
पर किसान कहते हैं—
“हमें राजनीति नहीं, सही दाम चाहिए।”
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🟥 आर्थिक विश्लेषण — क्यों टूटा बाजार?
1. अत्यधिक उत्पादन
जब पिछले साल दाम अच्छे मिले तो किसानों ने बड़े पैमाने पर प्याज बो दी।
2. स्टोरेज की कमी
70% प्याज बिना भंडारण खराब हो जाती है।
3. निर्यात में कमी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की प्याज महंगी पड़ी, जिससे मांग घटी।
4. सरकारी खरीद नहीं
सरकार ने बड़ा स्टॉक नहीं खरीदा, जिससे व्यापारी मनमानी करने लगे।
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🟦 किसान संगठनों की चेतावनी
कई किसान संगठन आंदोलन की तैयारी में हैं। मांगें:
प्याज का MSP कम से कम ₹20 किलो तय किया जाए
सरकार तुरंत प्याज खरीदे
निर्यात शुल्क घटाया जाए
कोल्ड स्टोरेज बढ़ाए जाएं
किसान को ट्रांसपोर्ट सब्सिडी मिले
किसान कहते हैं:
“हम जब भी नुकसान में होते हैं तो हमारे लिए कोई नहीं खड़ा होता।”
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🟪 परिवार और समाज पर असर
कम दाम से सिर्फ किसान नहीं, पूरा ग्रामीण समाज प्रभावित होता है:
बच्चों की स्कूल फीस रुकी
घर का राशन प्रभावित हुआ
किसानों में तनाव बढ़ा
कर्ज का बोझ बढ़ा
कई ने खेती छोड़ने का फैसला किया
किसान का कहना है—
“हमारे बच्चे पूछते हैं पैसा क्यों नहीं मिलता… हम क्या जवाब दें?”
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🟫 समाधान क्या? विशेषज्ञ क्या कहते हैं
विशेषज्ञी सलाह:
प्याज को MSP फसलों में शामिल किया जाए
बड़े स्तर पर सरकारी खरीद शुरू हो
भंडारण क्षमता दोगुनी की जाए
किसानों और बाजार के बीच सीधे प्लेटफ़ॉर्म बनाए जाएँ
निर्यात नीति स्थिर और अनुकूल हो
इन कदमों से आने वाले वर्षों में प्याज संकट कम होगा।
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🟥 Conclusion — किसान का दर्द ही देश का दर्द है
जब प्याज का दाम ₹2 किलो तक गिर जाता है, तो यह सिर्फ एक फसल की कीमत न
हीं, बल्कि किसान की मेहनत, उम्मीद और भविष्य के मूल्य के बराबर होता है।
किसान सिर्फ इतना चाहता है:
“मेहनत का उचित दाम मिल जाए।”
देश को यह समझना होगा कि किसान मजबूत होगा तो ही अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
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