हरियाणा वोटर सूची में “ब्राज़ीलियाई मॉडल” की फोटो 22 बार? — Rahul Gandhi ने बड़ा वोट-फ्रॉड आरोप लगाया
🎯 घटना का संक्षिप्त अवलोकन
राजनीतिक तूफान: हरियाणा के राय विधानसभा क्षेत्र में कथित रूप से एक ही फोटो को विभिन्न नामों से वोटर सूची में दर्ज पाया गया, जिसके आधार पर कांग्रेस ने लगभग 25 लाख फर्जी मतदाता होने का दावा किया है — लेकिन असल में जमीन पर क्या है, इस रिपोर्ट में जानें।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 5 नवंबर 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि Haryana की वोटर सूची में एक ही फोटो — एक ब्राज़ीलियाई महिला की — 22 बार दर्ज है, विभिन्न नामों से, विभिन्न बूथों पर।
उन्होंने कहा कि इस फोटो के माध्यम से लगभग 25 लाख मतदाता या उनकी प्रविष्टियाँ फर्जी हो सकती हैं — यानी हर आठवां मतदाता (लगभग 12.5 %) सूची में नकली हो सकता है।
फोटो की महिला खुद ब्राज़ील की रहने वाली हैं — Larissa Nery नाम से मीडिया में पहचानी गयी — उन्होंने कहा कि ये फोटो उनका पुराना है, उन्हें भारत में वोटिंग की कोई जानकारी नहीं।
रिपोर्टों में गांव-स्तर पर मिले उदाहरणों में 1) फोटो गलत छपी, 2) मृत voter सूची में बने, 3) एक ही नाम के तहत दो रिकॉर्ड पाया गया — ये सभी शिकायतें मिलीं, लेकिन “संगठित छेड़-छाड़” साबित नहीं हुई।
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🧐 जमीन-हकीकत: स्थानिक सर्वेक्षण
– राय विधानसभा क्षेत्र, हरियाणा
इस क्षेत्र में स्थानीय रिपोर्टर्स ने कई लोगों से बात की:
एक वोटर पिंकी कौशिक (माचरोली गांव) ने कहा कि उनके मतदाता कार्ड पर फोटो गलत छपी थी — उस फोटो में गाँव की अन्य महिला की थी, उन्होंने उसी कार्ड से वोट किया।
एक और मामला मृत व्यक्ति गुनिया का था — जिनकी मृत्यु 2022 में हो गयी थी पर उनके नाम व फोटो के साथ 2024 की सूची में प्रविष्टि पायी गई।
एक वोटर बिमला के नाम से दो प्रविष्टि थीं — एक मूल, एक नकली फोटो के साथ — यह रिकॉर्ड डेटा-बेस मैनेजमेंट की खामी बताती है।
मिल रही तस्वीर:
फोटो-मिसमैच (गलत व्यक्ति की फोटो)
मृत व्यक्ति की नामांकन सूची में मौजूदगी
एक ही घर संख्या पर एक से अधिक मतदाता सूची प्रविष्टि
यह सब मिलकर यह संकेत देते हैं कि वोटर सूची के रख-रखाव, अद्यतन (update) और सत्यापन (verification) में व्यवस्था-गत खामियाँ हैं, चाहे इनका स्वचालित और संगठित स्वरूप में छेड़-छाड़ (manipulation) कतई साबित न हुआ हो।
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✅ कांग्रेस का पक्ष
राहुल गांधी ने इसे “केन्द्रित ऑपरेशन” बताया — मतलब बूथ-संगठन स्तर पर नहीं बल्कि सूची निर्माण और डेटा में बड़े पैमाने पर बदलाव।
उन्होंने कहा कि यदि सिर्फ 25 लाख वोट ही फर्जी हुए हैं, तो यह हरियाणा की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावित जीत को बदलने वाला था।
कांग्रेस ने इस फोटो को एक प्रतीक (symbol) के रूप में इस्तेमाल किया कि कैसे एक नाम-नंबर-फोटो वाला सेट बार-बार सूची में दर्ज हुआ।
❌ प्रतिपक्ष और अन्य पक्षों का जवाब
Election Commission of India (EC) ने कहा है कि उनके रिकॉर्ड में अभी तक ऐसा कोई परिचित अनुरोध या आपत्ति नहीं मिली जिसमें “यह फोटो 22 बार दर्ज” का प्रमाण हो।
ब्राज़ीलियन महिला ने अपना पक्ष रखा कि यह फोटो उनका पुराना (8 वर्ष पुराना) है, उन्होंने भारत नहीं गए और न ही वोट डाला।
रिपोर्टर्स ने निष्कर्ष निकाला कि जिन स्थिति-प्रकरणों पर फोटो मेल खाती है, वहाँ मकैनिकल या प्रशासनिक त्रुटियाँ पाईं गयीं — लेकिन केवल इनसे पूर्ण रूप से छेड़-छाड़ का प्रमाण नहीं मिलता।
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📋 विश्लेषण: क्या हो सकता है / क्या नहीं
संभवताएँ
एक स्टॉक फोटो इंटरनेट पर उपलब्ध थी, जिसे शट-डाउन देखकर सूची में इस्तेमाल किया गया हो — इस तरह एक फोटो विभिन्न नामों के नीचे दर्ज हो गई हों।
सूची में मृत व्यक्तियों, एक ही घर पर बहुत सारे मतदाताओं, गलत फोटो वाले कार्ड आदि खामियाँ — जो सूची-स्वछता (roll cleaning) की कमी को दर्शाती हैं।
डेटाबेस अपडेट न होना, फॉर्म-6/7 (नामांकन/पुनःनामांकन) में देरी, या डेटा एंट्री में त्रुटियाँ — ये लंबे समय से भारत के कई निर्वाचन क्षेत्रों में चर्चा में हैं।
जिन बातों का प्रमाण नहीं मिला
यह कि यह व्यापक, संगठित वोटर-फ्रॉड ऑपरेशन था (जहाँ फोटो-नाम-नामांकन उपकरण पूर्व निर्धारित रूप से इस्तेमाल हुआ हो) — इसके लिए ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं हुए हैं।
यह कि उक्त फोटो से 22 वोट ठीक उसी नाम-घर-बूथ पर वास्तव में डाले गए हों — यानी “दस्तावेज़ पुष्टि + मतदान रिकॉर्ड मिलान” का डेटा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है।
यह कि सूची सुधार की जिम्मेदारी कौन ले रहा था और उस समय कॉंग्रेस एजेंट्स ने क्या प्रतिक्रिया दी — EC ने सवाल उठाया है कि मतदान दिन एजेंट्स ने आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराई।
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💡 सुझाव-बिंदु: सुधार की दिशा
मतदाता सूची-डेटाबेस की नियमित सत्यापन एवं स्वच्छता (dead voters हटाना, एक ही घर पर कई मतदाता नामांकन की जाँच) प्रक्रिया को गति देना।
फोटो-नामांकन में इंटरनेट-उपलब्ध स्टॉक-इमेज के उपयोग पर नियंत्रण तथा स्थानीय फोटो-अपलोडिंग की पुष्टि (unique photo requirement) को कड़ा बनाना।
मतदान एजेंट्स, बूथ कार्यकर्ता और निर्वाचन कार्यालयों को प्रशिक्षण देना कि जब किसी मतदाता के नाम, फोटो या घर-पता में अनियमितता हो तो तुरंत अपत्ति दर्ज करें।
सालों पुरानी या स्थान परिवर्तन वाले नामों को हटाने/अदालत-पुःसृख्थ करने (clean-up) अभियान चलाना।
राजनीतिक दल और नागरिक समाज के बीच सहभागिता बढ़ाना — नियमित “नामांकन समीक्षा” (roll-revision) में मतदाता-सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
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🧭 निष्कर्ष
यह विवाद — “हरियाणा वोटर सूची में ब्राज़ीलियाई मॉडल की फोटो 22 बार” — केवल एक कहानी नहीं बल्कि बहुस्तरीय चुनौतियों का संकेत है:
डेटा प्रबंधन की खामियाँ,
फोटो-प्रमाणीकरण की कमजोरी,
मतदाता सूची-स्वच्छता की कमी,
और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भरोसे की दुहाई।
जहाँ एक तरफ कांग्रेस इसे बड़े पैमाने की चुनावी छेड़-छाड़ का प्रमाण मान रही है, वहीं दूसरी ओर प्रतिपक्ष व निर्वाचन आयोग इसे प्रशासनिक त्रुटियों की श्रेणी में रख रहे हैं।
अगर इन त्रुटियों को प्रणालीगत रूप से नहीं सुधारा गया, तो मतदाता-सुविधा, चयन-उत्तरदायित्व (accountability) और लोकतांत्रिक संस्थाओं (institutions) पर भरोसा कम हो सकता है।
इसलिए इस मामले की सही व्याख्या केवल फोटो‐मिसयूज़ तक सीमित नहीं — बल्कि यह पूर्ण वोटर-रोल
में सुधार, वोटिंग प्रक्रिया की पारदर्शिता, और सिग्नलिंग कि राज्य में लोकतंत्र सुरक्षित है — इन तीनों को एक साथ पेश करती है।



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