गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी दिवस: धार्मिक स्वतंत्रता के प्रतीक 'हिंद की चादर' को कोटि-कोटि प्रणाम, दिल्ली-UP में पब्लिक हॉलिडे, पीएम मोदी ने किया श्रद्धांजलि अर्पित

नई दिल्ली, 25 नवंबर 2025: आज भारतीय इतिहास के एक ऐसे महान संत-योद्धा को याद करने का दिन है,



 जिन्होंने न केवल सिख धर्म की रक्षा की, बल्कि समस्त मानवता के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को अपनी जान देकर स्थापित किया। सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज की 350वीं शहीदी दिवस पर पूरे देश में श्रद्धा की लहर दौड़ पड़ी है। 'हिंद की चादर' के नाम से विख्यात गुरु जी का बलिदान 24 नवंबर 1675 को चांदनी चौक, दिल्ली में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर सिर कटाने के रूप में हुआ था। 



इस वर्ष उनकी शहीदी की 350वीं वर्षगांठ होने के कारण यह दिवस विशेष महत्व रखता है। दिल्ली सरकार ने 25 नवंबर को पब्लिक हॉलिडे घोषित कर दिया है, 

जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी सरकारी छुट्टी का ऐलान किया गया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ट्विटर (अब एक्स) पर एक वीडियो साझा करते हुए गुरु जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

उन्होंने लिखा,



 "श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी दिवस पर उनके अद्वितीय साहस और बलिदान को नमन। धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता की रक्षा के लिए उनका त्याग हमेशा हमारे समाज को रोशन करता रहेगा।" 

पीएम मोदी ने रेड फोर्ट पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में भाग लिया, जहां लाइट एंड लेजर शो के माध्यम से गुरु जी के जीवन और शिक्षाओं को जीवंत किया गया।गुरु तेग बहादुर जी का जीवन परिचय: एक संक्षिप्त इतिहासगुरु तेग बहादुर जी का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था।


 वे सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद जी महाराज के सबसे छोटे पुत्र थे। बचपन में उनका नाम त्याग मल था, जो बाद में 'तेग बहादुर' (तलवार का बहादुर) हो गया। 


मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने एक युद्ध में अद्भुत वीरता का परिचय दिया, 



जब उन्होंने एक भयंकर मदमस्त हाथी को शांत कर दिया। गुरु हरगोबिंद जी ने उनके योग्य होने पर 1664 में उन्हें नौवें गुरु के रूप में स्थापित किया।गुरु जी का जीवन ध्यान, भजन और लोक कल्याण में बीता। 







उन्होंने पंजाब से लेकर बंगाल तक कई स्थानों पर यात्राएं कीं और असंख्य भजन रचे, जो गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। उनके भजनों में ईश्वर भक्ति, सत्य, दया और मानवता के प्रति समर्पण की गहन भावनाएं झलकती हैं। 


उदाहरण के लिए, उनका प्रसिद्ध श्लोक है: 

"मन जीते जग जीत" –



 अर्थात् मन को जीत लो तो सारा जग जीत लिया। गुरु जी ने सिख धर्म को मजबूत करने के लिए आनंदपुर साहिब में एक नया केंद्र स्थापित किया और सिखों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


लेकिन गुरु जी का जीवन चरमोत्कर्ष तब पहुंचा जब उन्होंने कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। 1675 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने जबरन धर्मांतरण की नीति अपनाई। कश्मीर के पंडितों पर इस्लाम कबूल करने का दबाव डाला जा रहा था। 


हताश पंडितों का एक प्रतिनिधिमंडल गुरु तेग बहादुर जी के पास पहुंचा। गुरु जी ने कहा, "यदि मैं धर्म परिवर्तन करने को तैयार हो जाऊं, तो औरंगजेब को लगेगा कि सभी हिंदू आसानी से कबूल हो जाएंगे। 



लेकिन मैं ऐसा कभी न करूंगा।" 


उन्होंने दिल्ली जाकर औरंगजेब के सामने खड़े होने का फैसला किया।

गुरु जी के तीन शिष्यों – 


भाई मति दास, भाई सती दास और भाई दयाला जी –


 को क्रूर यातनाएं देकर शहीद कर दिया गया। फिर भी अडिग रहने पर 24 नवंबर 1675 को चांदनी चौक में उनका सिर काट दिया गया। उनके पुत्र, गुरु गोबिंद सिंह जी ने उनके शीश को आनंदपुर साहिब ले जाकर सम्मानित किया, 


जबकि उनके धड़ को भाई लक्खी शाह वंजारा ने आग में भस्म कर दिया। आज चांदनी चौक में गurdwara शीश गंज साहिब और रकाब गंज साहिब गुरुद्वारे उनके बलिदान के साक्ष्य हैं।

शहीदी दिवस 2025: देशभर में भव्य आयोजन और छुट्टियांइस वर्ष 350वीं वर्षगांठ के अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया।

 पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में विशेष प्रार्थनाएं, कीर्तन दरबार और नुक्कड़ नाटक हुए। दिल्ली के रेड फोर्ट पर 23 से 25 नवंबर तक चला तीन दिवसीय समारोह का समापन आज हुआ, 

जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिरकत की। लाइट एंड लेजर शो में गुरु जी के जीवन की घटनाओं को दृश्यों के माध्यम से दिखाया गया।दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में 25 नवंबर को पूर्ण पब्लिक हॉलिडे घोषित किया। सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेज और बैंक बंद रहे।





सीएम गुप्ता ने एक्स पर लिखा, 


"गुरु साहिब के साहस, करुणा और विश्वास की स्वतंत्रता का कालातीत संदेश हमें हमारी सामूहिक यात्रा में मार्गदर्शन करता रहे।" इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी 25 नवंबर को छुट्टी का ऐलान किया, ताकि लोग स्मरण समारोहों में भाग ले सकें।





यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में कहा, "गुरु श्री तेग बहादुर जी महाराज का इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखा है, जो हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।"पंजाब और चंडीगढ़ में 24 नवंबर को ही छुट्टी रही, लेकिन 25 नवंबर को भी विशेष आयोजन हुए। हरियाणा में चार पवित्र नगर कीर्तन यात्राएं निकाली गईं, जो सभी जिलों से गुजरीं।




नोएडा, गाजियाबाद और एनसीआर क्षेत्र के स्कूल-कॉलेज बंद रहे।




 हालांकि, बैंक पूरे देश में खुले रहे, क्योंकि यह राष्ट्रीय छुट्टी नहीं है।




भारतीय रेलवे ने इस अवसर पर दो विशेष ट्रेनें चलाईं, ताकि श्रद्धालु आसानी से दिल्ली पहुंच सकें। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, यूके की सिख फेडरेशन ने लंदन में विशेष सभा आयोजित की, जहां गुरु जी के बलिदान को सभी धर्मों की रक्षा के प्रतीक के रूप में याद किया गया।





गुरु जी की शिक्षाएं: मानवता और धार्मिक सहिष्णुता का संदेशगुरु तेग बहादुर जी की शहीदी केवल एक घटना नहीं, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता और मानवाधिकारों की रक्षा का वैश्विक उदाहरण है। 

उन्होंने सिख धर्म के सिद्धांतों – 


किरत करो, वंड छको, नाम जपो – को जीवंत किया।



 उनके भजनों में कहा गया है कि सच्ची भक्ति बाहरी दिखावे में नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता में है। उदाहरणस्वरूप, "सभना जीआन कौ रंगी रता, हरे के गुन गावत" – सभी जीवों को रंगम में रंगना, हरि के गुण गाना।आज के संदर्भ में, गुरु जी का संदेश प्रासंगिक है। जब दुनिया में धार्मिक कट्टरता और जबरन धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं, तब उनका त्याग हमें सिखाता है कि अन्याय कहीं भी हो, तो न्याय की रक्षा सबकी जिम्मेदारी है।





 न्यूज9 लाइव के अनुसार, गुरु जी की शिक्षाएं शांति, मानवता और साहस की प्रेरणा देती हैं।सोशल मीडिया पर #GuruTeghBahadur, #ShaheediDivas2025 और #HindDiChadar जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "25 नवंबर 1675 – गुरु तेग बहादुर जी ने कश्मीरी पंडितों को औरंगजेब के terreur से बचाने के लिए खुद को बलिदान किया। 🙏"





 बिहार न्यूज पॉइंट ने पोस्ट किया, "गुरु जी की शहादत धार्मिक स्वतंत्रता का प्रतीक है।





देशभर से श्रद्धांजलि: विशेष आयोजन और संदेशदिल्ली: रेड फोर्ट पर लेजर शो और कीर्तन। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "गुरु जी का बलिदान धर्म की रक्षा का प्रतीक है।"लखनऊ: सीएम योगी ने कार्यक्रम में भाग लिया, कहा – "उनका इतिहास हमें प्रेरित करता है।"





अंबाला (हरियाणा): सीएम नायब सिंह सैनी ने नगर कीर्तन यात्राओं का उद्घाटन किया।





पंजाब: एसजीपीसी ने बड़े स्तर पर समारोह आयोजित किए।





यूके: सिख फेडरेशन ने कहा, "गुरु जी ने अन्य धर्मों के लिए अपना सिर दिया – यह न्याय का संदेश है।"





विशेष कोट्स: "गुरु तेग बहादुर जी ने सिखाया – कमजोरों की ताकत उनकी आस्था की गहराई में है।" – एक संदेश। "शहीदी दिवस पर, हम उनके त्याग को याद करते हैं जो न्याय और मानवता के लिए खड़े हुए।





निष्कर्ष: एक शाश्वत प्रेरणागुरु तेग बहादुर जी की शहीदी दिवस हमें याद दिलाता है कि सच्चा धर्म सहिष्णुता और समानता सिखाता है। 350 वर्ष बाद भी उनका संदेश प्रासंगिक है – अन्याय के विरुद्ध खड़े होना ही सच्ची भक्ति है। आज के भारत में, जहां विविधता हमारी शक्ति है, गुरु जी का बलिदान हमें एकजुट रखता है। कोटि-कोटि प्रणाम 'हिंद की चादर' को।

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