दिल्ली के आदर्श नगर में पुलिस ने ई-रिक्शा चालक के साथ दुर्व्यवहार किया
दिल्ली में महिला ई-रिक्शा चालक के साथ पुलिस की कथित मारपीट
दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में एक ई-रिक्शा चलाने वाली महिला के साथ पुलिस द्वारा मारपीट का वीडियो वायरल हो गया है, जिससे लोगों में भारी आक्रोश है और सामाजिक मीडिया पर भी इस घटना की कड़ी निंदा की जा रही है।
संक्षिप्त विवरण
वायरल वीडियो में दिल्ली पुलिस का एक कांस्टेबल महिला ई-रिक्शा चालक को डंडे से मारते हुए साफ दिख रहा है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने पुलिस के इस बर्ताव को अमानवीय एवं शर्मनाक बताया है।
दिल्ली पुलिस ने सफाई दी कि वे ड्रग-तस्कर को गिरफ्तार करने गए थे, तभी महिलाओं ने पुलिस टीम को घेर लिया और माहौल तनावपूर्ण हो गया।
पुलिस ने कहा घटना आत्मरक्षा में हुई और जांच समिति बनाई गई है ताकि पूरी घटना की गहन जांच हो और दोषी पर सख्त कार्रवाई हो सके।
प्रमुख बिंदु
महिला ई-रिक्शा चालकों की संख्या दिल्ली में बहुत कम है और वे अक्सर आर्थिक मजबूरी में यह काम करती हैं।
वायरल वीडियो का एक पक्ष यह है कि महिला को पुलिस ने सरेआम मारा, जिससे लोगों में गुस्सा है और सवाल उठ रहा है कि पुलिस को ऐसा करने का अधिकार है या नहीं।
पुलिस के अनुसार जिस महिला को मारा गया, वह आरोपी के परिवार की सदस्य है और पुलिस टीम को छुड़ाने के लिए वहां भीड़ एकत्र हो गई थी।
मुख्य आरोपी मोहम्मद तारिफ के खिलाफ पहले हत्या और मारपीट के मामले दर्ज हैं, उसी को पकड़ने के दौरान यह घटना हुई।
वायरल हो रही प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया यूजर्स ने पोस्ट्स में ये लिखा: "बहुत कम महिलाएं ई-रिक्शा चलाने का साहस कर पाती हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस का ऐसा व्यवहार शर्मनाक है।"
लोग मांग कर रहे हैं कि दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए और महिलाओं के प्रति ऐसे व्यवहार की जांच हो।
कई महिला आयोग और मानवाधिकार संस्थाओं ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
पुलिस का पक्ष
दिल्ली पुलिस ने वीडियो के वायरल होते ही तत्काल जांच समिति का गठन कर दिया है।
पुलिस का कहना है कि पूरा वीडियो घटना का सिर्फ एक हिस्सा दिखाता है और असल सच्चाई बहुत अलग है।
पुलिस ने आश्वासन दिया है कि गलती पाए जाने पर संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।
समाज में गूंज और चर्चा
घटना ने महिला सुरक्षा तथा पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
गरीब और मजदूर महिला को इस तरह सरेआम मारना न केवल गैरकानूनी बल्कि अमानवीय भी है, जिसे लेकर समाज में भारी प्रतिक्रिया है।
पुलिस की भूमिका को लेकर अनेक संगठन और नागरिक स्पष्ट व निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
इंसानियत और कानून के राज में किसी भी स्थिति में महिला के प्रति हिंसा या तिरस्कार सही नहीं ठहराया जा सकता।
इस तरह की घटनाओं से आमजन का पुलिस पर विश्वास कमजोर होता है और महिलाओं में सुरक्षा संबंधी चिंता बढ़ती है।
पुलिस विभाग को चाहिए कि ऐसी घटनाओं के निराकरण में तत्परता दिखाए और इंसाफ सुनिश्चित करे।
यह मामला महिला सशक्तिकरण, पुलिस की जवाबदेही और समाज में संवेदनशीलता की गंभीर परीक्षा बन चुका है।



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