25 नवंबर से पहले घोषित होगा जिला परिषद चुनाव कार्यक्रम: राज्य चुनाव आयोग ने समीक्षा तेज की
भूमिका : महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की हलचल तेज
महाराष्ट्र में स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव हमेशा से राजनीतिक हलचलों का केंद्र रहे हैं। चाहे नगर पंचायत हो, नगर परिषद हो, जिला परिषद हो या फिर महानगर पालिका—हर चुनाव सीधा जनता से जुड़ा होता है। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल, प्रशासन, चुनाव आयोग और उम्मीदवार चुनावी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हैं।
इसी बीच प्रदेश की चर्चा का विषय बन गया है कि राज्य चुनाव आयोग 25 नवंबर से पहले जिला परिषद (ZP) और पंचायत समिति चुनावों का पूरा कार्यक्रम घोषित कर सकता है।
यह जानकारी नागपुर से मिली रिपोर्ट के आधार पर सामने आई है जहाँ चुनाव आयोग की समीक्षा बैठकें लगातार जारी हैं।
यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले से नगर पंचायत और नगर परिषद चुनावों की प्रक्रिया चल रही है, और इन चुनावों के मध्य जिला परिषद चुनावों का कार्यक्रम आने से प्रदेश की राजनीतिक हवा एकदम से बदल सकती है।
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चुनाव आयोग की तैयारी—सभी चुनाव समय पर कराने की चुनौती
सूत्रों के अनुसार, राज्य चुनाव आयोग अभी सभी जिलों से फीडबैक, मतदाता सूची, मतदान केंद्र–वार समीक्षा, सुरक्षा इंतज़ाम, मानवबल उपलब्धता और लॉजिस्टिक तैयारी की रिपोर्ट मंगा रहा है।
चुनाव आयोग पर यह दबाव भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी से पहले स्थानीय निकाय चुनावों को पूरा कराने के निर्देश दिए हैं।
इस वजह से आयोग को:
नगर पंचायत चुनाव
नगर परिषद चुनाव
जिला परिषद चुनाव
पंचायत समिति चुनाव
महानगर पालिका चुनाव
इन सभी की समय-सारणी एक व्यवस्थित क्रम में तय करनी है।
चुनावों का टकराना नहीं चाहिए, लेकिन समय सीमा कम होने के कारण आयोग को कई चुनाव पास–पास आयोजित करने पड़ रहे हैं।
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क्यों बढ़ा जिला परिषद चुनावों का महत्व?
जिला परिषद चुनाव ग्रामीण विकास की रीढ़ माने जाते हैं।
ZP के पास:
शिक्षा
स्वास्थ्य
ग्रामीण सड़कें
सिंचाई
पंचायत विकास
कृषि संबंधी योजनाएँ
जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ होती हैं।
इसलिए चुनावों के दौरान सत्ता परिवर्तन का असर सीधा गांव–गांव तक पहुँचता है।
2025 की शुरुआत में कई महत्वपूर्ण योजनाएँ प्रस्तावित हैं, इसलिए सरकार और प्रशासन दोनों ही चाहते हैं कि नई ZP टीम समय पर गठित हो जाए।
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25 नवंबर से पहले तारीखों की घोषणा—क्या कहा सूत्रों ने?
नागपुर से मिली खबर के अनुसार, राज्य चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि 25 नवंबर से पहले जिला परिषद व पंचायत समिति चुनावों की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
इसके लिए:
जिलों से बूथ–वार सूची
संवेदनशील और अति संवेदनशील क्षेत्रों की रिपोर्ट
पुलिस बल की उपलब्धता
मतदान कर्मियों का विवरण
EVM की उपलब्धता
इन सबकी समीक्षा पूरी हो चुकी है।
इसी आधार पर चुनाव कार्यक्रम तय होने की संभावना जताई जा रही है।
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तीन चरणों में होंगे निकाय चुनाव—पहला चरण घोषित
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि स्थानीय निकाय चुनाव तीन चरणों में कराए जाएंगे।
पहला चरण – नगर पंचायत व नगर परिषद चुनाव
पहला चरण पहले ही घोषित किया जा चुका है। मतदान होना है:
2 दिसंबर को मतदान
3 दिसंबर को परिणाम
मुंबई, नागपुर, पुणे सहित कई जिलों में यह चुनाव महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
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दूसरा चरण – जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव
पहले चरण का परिणाम आने से पहले ही आयोग दूसरा चरण घोषित करने वाला है।
सूत्रों की मानें, तो:
✔ दूसरे चरण में जिले भर की सभी ZP और पंचायत समितियों के चुनाव हो सकते हैं।
✔ इस चरण के अंतर्गत पूरे महाराष्ट्र के ग्रामीण राजनीतिक माहौल में एक बार फिर गरमी आ जाएगी।
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तीसरा चरण – महानगर पालिका चुनाव (NMC सहित)
सबसे बड़ी खबर यह है कि दिसंबर में नागपुर महानगर पालिका (NMC) समेत अन्य बड़ी महानगरपालिकाओं के चुनाव भी घोषित किए जा सकते हैं।
यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि:
बड़े शहरों में विकास कार्यों की दिशा बदलेगी
राजनीतिक दलों की शहरी पकड़ तय होगी
मुंबई–पुणे–नागपुर–नासिक जैसे शहरों में बड़ा जनादेश आएगा
NMC के चुनावों की घोषणा दिसंबर में होने के संकेत पहले ही दिए जा चुके हैं।
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क्या चुनाव कार्यक्रम आपस में टकरा सकता है?
पहले यह चिंता जताई जा रही थी कि
> नगर परिषद, जिला परिषद और महानगरपालिका चुनावों की तारीखें आपस में टकरा सकती हैं।
लेकिन आयोग ने साफ किया है कि समय सीमा कम होने के बावजूद कार्यक्रमों को इस तरह समायोजित किया जाएगा कि प्रशासनिक दिक्कतें न आएं।
हालाँकि, ज़मीनी स्तर पर इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों, सुरक्षा बलों और संसाधनों की आवश्यकता होगी कि कई जिलों में बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
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चुनावों के पीछे राजनीति—सभी दल मैदान में
इन चुनावों का असर सीधे 2027 विधानसभा और 2029 लोकसभा चुनावों पर भी पड़ने वाला है।
इसलिए राजनीतिक दल इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।
कौन–कौन मैदान में सक्रिय?
भाजपा
कांग्रेस
राकांपा (शरद पवार)
राकांपा (अजित पवार)
शिवसेना (शिंदे गुट)
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट)
हर दल ने अपने-अपने जिलों में सभाएँ, बूथ बैठकें और संगठन विस्तार की गतिविधियाँ तेज कर दी हैं।
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मानवबल की कमी: सबसे बड़ी चिंता
राज्य चुनाव आयोग को सबसे बड़ी समस्या मानवबल की कमी से है।
शिक्षकों की ड्यूटी
आंगनवाड़ी कर्मचारी
सरकारी बाबू
पुलिस और SRPF
इनकी उपलब्धता सीमित है, और निकाय चुनावों में इनकी सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है।
इसलिए आयोग इस बार अतिरिक्त जिलों से भी कर्मियों को बुलाने की तैयारी में है।
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EVM और सुरक्षा का इंतज़ाम
चुनाव आयोग यह सुनिश्चित कर रहा है कि:
EVM की संख्या पर्याप्त हो
कंट्रोल यूनिट–बैलेट यूनिट की टेस्टिंग हो
निर्वाचन अधिकारियों की ट्रेनिंग हो
जिले के सभी संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात हो
CCTV और वेबकास्टिंग का इंतज़ाम हो
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निष्कर्ष : 25 नवंबर से पहले बड़ा चुनावी ऐलान तय
साफ है कि महाराष्ट्र में चुनावी मशीनरी पूरी गति में है।
सूत्रों का कहना है:
25 नवंबर से पहले जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों का कार्यक्रम जारी होगा।
2 दिसंबर को पहला चरण (नगर पंचायत/नगर परिषद) का मतदान।
दिसंबर में NMC सहित महानगर पालिका चुनावों का कार्यक्रम भी आ सकता है।
इस तरह आने वाले दो महीने महाराष्ट्र के लिए पूर्ण रूप से चुनावी वातावरण वाले होने वाले हैं।
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