इथियोपिया ज्वालामुखी विस्फोट
इथियोपिया का 12,000 साल बाद जागा ज्वालामुखी: हैली गूबी ने पूरी दुनिया को हिला दिया
23 नवंबर 2025 की सुबह करीब 6:15 बजे (स्थानीय समय) इथियोपिया के दूर-दराज़ अफार क्षेत्र में ज़मीन फटने की तेज़ आवाज़ आई।
आसमान में अचानक काला-लाल धुएं का गुबार उठा जो कुछ ही मिनटों में 15 किलोमीटर से ज़्यादा ऊंचाई तक पहुँच गया। यह था
हैली गूबी (Hayli Gubbi) ज्वालामुखी का पहला ऐतिहासिक विस्फोट – वो भी 12,000 साल (होलोसीन युग की शुरुआत) के बाद।स्मिथसोनियन ग्लोबल वॉल्केनिज़्म प्रोग्राम ने इसे “हज़ारों साल में सबसे दुर्लभ ज्वालामुखी घटनाओं में से एक” बताया है।
सिर्फ़ 48 घंटे के अंदर इसकी राख भारत के दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात तक पहुँच गई और पाकिस्तान, यमन, ओमान, सऊदी अरब के ऊपर से गुज़र गई।
ज्वालामुखी कौन सा है और कहाँ है?
हैली गूबी अफार ट्राएंगल के बीचों-बीच स्थित है – दुनिया का सबसे गर्म और सबसे निचला इलाका डानाकिल डिप्रेशन। समुद्र तल से 100 मीटर नीचे।
यहाँ साल भर तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
सबसे नज़दीकी शहर: अफदेरा (Afdera) – लगभग 30 किमी दूर।
सबसे मशहूर पड़ोसी ज्वालामुखी:
एरटा एले (Erta Ale) – दुनिया का एकमात्र स्थायी लावा झील वाला ज्वालामुखी, जो हैली गूबी से सिर्फ़ 50 किमी दूर है।विस्फोट का क्रम – मिनट दर मिनट23 नवंबर, सुबह 5:45 बजे: भूकंप के हल्के झटके (मैग्नीट्यूड 3.2 से 4.1)6:15 बजे: ज़मीन में 2 किमी लंबी दरार पड़ी और लावा फूटना शुरू6:30 बजे: पहला बड़ा धमाका – राख का प्लूम 10 किमी ऊपर7:00 बजे तक: प्लूम 15 किमी तक पहुँचादोपहर 2 बजे तक: लगातार राख और SO2 गैस निकल रही थी
24 नवंबर की सुबह तक: विस्फोट की तीव्रता कम हुई,
लेकिन राख अभी भी निकल रही हैराख कितनी दूर तक गई? (ट्रैकिंग)23 नवंबर शाम: यमन और इरिट्रिया के ऊपर24 नवंबर सुबह: ओमान, सऊदी अरब, पाकिस्तान (कराची तक)24 नवंबर दोपहर: भारत के पश्चिमी तट (गुजरात) पर राख की पतली परत24 नवंबर रात: दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में हल्की धुंध और राख की बू25 नवंबर सुबह: राख का बादल अब चीन की ओर बढ़ रहा हैNASA के MODIS और ESA के सेंटिनल-5P सैटेलाइट ने SO2 का 400 किलोटन से ज़्यादा उत्सर्जन दर्ज किया – यह पिछले 10 साल में किसी भी ज्वालामुखी का सबसे बड़ा SO2 बादल है।
भारत पर असर –
विस्तार सेउड़ानेंएयर इंडिया: दिल्ली-लंदन, दिल्ली-न्यूयॉर्क, दिल्ली-दुबई समेत 28 अंतरराष्ट्रीय और 19 घरेलू उड़ानें रद्दइंडिगो:
अहमदाबाद, जयपुर, चंडीगढ़, अमृतसर से 40+ उड़ानें प्रभावितDGCA ने सभी एयरलाइंस को “Volcanic Ash Advisory” जारी कियामौसम और AQIदिल्ली में 24 नवंबर की शाम AQI 180 से 220 तक रहा, लेकिन IMD ने साफ़ किया कि ज्वालामुखी की राख ऊपरी वायुमंडल (10-15 किमी) में है,
इसलिए ज़मीन पर प्रदूषण में बहुत मामूली बढ़ोतरी हुईपंजाब और हरियाणा में पराली के धुएं के साथ मिलकर हल्की भूरी धुंध दिखीहिमालय पर असरहिमाचल और उत्तराखंड में ऊँची चोटियों पर हल्की भूरी परत देखी गईSO2 की मात्रा शिमला और मनाली में सामान्य से 8-10 गुना ज़्यादा दर्ज की गईस्थानीय लोगों की कहानीअफदेरा गाँव के 68 साल के बुज़ुर्ग अब्दुल्ला मोहम्मद ने बताया:
“हमने ज़िंदगी में पहली बार ऐसा कुछ देखा। सुबह नमाज़ के लिए उठे तो लगा क़यामत आ गई। पूरा आसमान काला हो गया। हमारी बकरियाँ डर के मारे भागने लगीं। अब सारी घास राख से ढक गई है। पानी का तालाब भी भूरा हो गया।”एक 22 साल की लड़की फातिमा अहमद ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला:
“हमारे घर की छत पर 5 इंच राख जमा हो गई। सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है। सरकार से मदद माँग रहे हैं।”पर्यटकों का डरडानाकिल डिप्रेशन में उस दिन करीब 120 विदेशी पर्यटक थे – ज्यादातर फ्रांस, जर्मनी, इटली और अमेरिका से।40 पर्यटक एरटा एले कैंप में फंस गएइथियोपियाई आर्मी ने 24 नवंबर को हेलिकॉप्टर से सभी को सुरक्षित निकालाएक जर्मन पर्यटक ने बताया:
“हमने लावा फव्वारे देखे, लेकिन राख इतनी थी कि 10 मीटर दूर भी कुछ नहीं दिख रहा था।”वैज्ञानिक क्या कह रहे हैं?डॉ. एटालेम वोल्डेगेब्रियल (अदीस अबाबा यूनिवर्सिटी):
“हैली गूबी को हम ‘स्लीपिंग जायंट’ कहते थे।
पिछले 20 साल में यहाँ भूकंपीय गतिविधि बढ़ी थी, लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि इतना बड़ा विस्फोट होगा। यह ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट के फैलने का सीधा सबूत है।”NASA के वॉल्केनोलॉजिस्ट डॉ. साइमन कार्न:
“यह राख का प्लूम इतना ताकतवर था
कि स्ट्रैटोस्फियर तक पहुँच गया। अगले कुछ हफ़्तों तक वैश्विक तापमान पर 0.01-0.02 डिग्री सेल्सियस की ठंडक का असर पड़ सकता है।”आगे क्या होगा?अभी विस्फोट पूरी तरह थमा नहीं है। छोटे-छोटे धमाके और राख निकल रही हैवैज्ञानिकों का अनुमान: अगले कुछ महीनों तक कम तीव्रता का विस्फोट चल सकता है
अगर नया मैग्मा चैंबर सक्रिय हुआ तो बड़ा विस्फोट फिर हो सकता हैइथियोपियाई सरकार ने अफार क्षेत्र में आपातकाल घोषित कर दिया हैUNICEF और WFP ने 50,000 लोगों के लिए खाना-पानी और मास्क भेजना शुरू कियादिलचस्प तथ्यहैली गूबी का नाम स्थानीय अफार भाषा में “दो शब्दों से मिलकर बना है –
“हायली” = ऊँचा और “गूबी” = पहाड़यहाँ का तापमान इतना ज़्यादा है कि 2021 में यहाँ 49.2°C दर्ज किया गया था
– ज़मीन पर सबसे गर्म जगहों में से एकडानाकिल डिप्रेशन में नमक की खदानें हैं जहाँ हज़ारों लोग काम करते हैं। अब सभी काम बंदनिष्कर्षहैली गूबी का जागना सिर्फ़ एक ज्वालामुखी विस्फोट नहीं है
– यह पृथ्वी के अंदर चल रही उस विशाल हलचल का छोटा सा नमूना है जो अफ्रीका को धीरे-धीरे दो हिस्सों में बाँट रही है। 5-6 मिलियन साल बाद यहाँ नया महासागर बनेगा।फिलहाल दुनिया की नज़रें अफार के उस छोटे से गाँव पर टिकी हैं जहाँ 12,000 साल पुराना ज्वालामुखी फिर से साँस लेने लगा है।



Comments